अगले आम चुनाव से महज कुछ महीने पहले राम मंदिर का मुद्दा फिर से गरम हो गया है. अयोध्या में वीएचपी धर्म संसद कर रही है तो शिवसेना राम मंदिर के निर्माण को लेकर आक्रामक हो गई है वहीं अब आरएसएस भी राम मंदिर के निर्माण को आगे बढ़ाने के लिए चार चरणों की योजना बना ली है.
2019 में बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरा कार्यकाल दिलाने की कोशिशों में आरएसएस ने राम मंदिर मामले में सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है. आरएसएस ने वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) और संतों की मदद से चार चरणों में आंदोलन की योजना तैयार कर ली है. इसे 1990 के दशक में लालकृष्ण आडवाणी की अगुवाई में राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद यह सबसे राम मंदिर आंदोलन माना जा रहा है.
कहा जा रहा है कि आरएसएस और बीजेपी के शीर्ष स्तर के अधिकारियों के बीच कई दौर की लंबी बैठक और कई शहरों का दौरा करने के बाद संघ ने चार चरणों की इस योजना को तैयार किया है, जिससे अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर दबाव बनाया जा सके.
आरएसएस वीएचपी की धर्मसभा के साथ अपने चार चरणों की योजना की शुरुआत करेगा. रविवार को अयोध्या, नागपुर और बेंगलुरू में जनसभा के साथ इसका आगाज होगा.
आरएसएस के 4 चरण
दूसरा चरणः इसमें सांसदों पर दबाव बनाया जाएगा. साधु-संत मंदिर पर तैयार मसौदे को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सांसदों को सौंपेंगे. मोदी सरकार ने मंदिर निर्माण को लेकर अभी तक किसी भी तरह अध्यादेश लाने का हिंट नहीं दिया है, लेकिन इस चरण के जरिए संसद में राम मंदिर से जुड़े निजी बिल को समर्थन करने का दबाव बनाया जा सकेगा. राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा ने इस मामले पर निजी बिल लाने की बात कह चुके हैं.
तीसरा चरणः राम मंदिर के लिए आरएसएस और वीएचपी ताबड़तोड़ रैलियां और जनसभाएं करेंगी. इसी सिलसिले में वीएचपी दिल्ली में 9 दिसंबर को जनसभा आयोजित करेगी. इसमें यूपी, हरियाणा और दिल्ली के करीब 20 जिलों से वीएचपी के कार्यकर्ता शामिल हो सकते हैं.
चौथा चरणः 18 दिसंबर से वीएचपी राष्ट्रव्यापी पूजा-अर्चना और हवन कार्यक्रम चालएगी.