लखनऊ
लखनऊ नगर निगम सदन में गुरुवार को भाजपा पार्षद मुकेश सिंह मोंटी अचानक विपक्ष की दीर्घा में बैठकर सुर्खियों में आ गए। महापौर सुषमा खर्कवाल से उनकी लगातार अनबन चल रही है, जिसकी झलक सदन की कार्यवाही के दौरान फिर दिखी। वहीं नगर निगम सदन की बैठक शुक्रवार को हंगामे की भेंट चढ़ गई। कांग्रेस पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि मोहनलालगंज के दलित सांसद आरके चौधरी का किसी भी विकास कार्य के शिलापट्ट पर नाम नहीं लिखा जा रहा है।
बजट की पुष्टि पर चर्चा के बीच मोंटी ने महापौर पर मनमर्जी से संशोधन करने का आरोप लगाया और मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाने की मांग की। उन्होंने साफ कहा कि समिति में दो सत्ता पक्ष और एक विपक्ष के पार्षद को शामिल किया जाए। इस पर महापौर भड़क उठीं और जवाब दिया कि कमेटी गठित करना केवल महापौर का अधिकार है।
तनावपूर्ण माहौल के बीच मोंटी का विपक्ष के साथ बैठना सियासी हलचल का कारण बना। कांग्रेस पार्षद और पूर्व कांग्रेस नगर अध्यक्ष मुकेश सिंह चौहान ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण दिया और आश्वासन दिया कि उनका स्वागत होगा। वहीं सपा पार्षद दल के नेता कामरान बेग ने भी मोंटी को सपा में आने का न्यौता देते हुए दावा किया कि 2027 तक भाजपा के अधिकांश पार्षद समाजवादी पार्टी से जुड़ जाएंगे। इस घटनाक्रम ने नगर निगम की राजनीति में नए समीकरणों के संकेत दे दिए हैं। भाजपा पार्षद के विपक्ष की ओर झुकाव से न सिर्फ सदन का माहौल गरमाया बल्कि भाजपा संगठन में भी बेचैनी बढ़ गई है।
सदन में नारेबाजी होने लगी और कार्यवाही बाधित
कांग्रेस पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने चौहान के इस बयान पर विपक्षी पार्षदों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। सदन में नारेबाजी होने लगी और कार्यवाही बाधित हो गई। पार्षदों ने कहा कि सांसद क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनके नाम को जानबूझकर दरकिनार करना दलित समाज का अपमान है। विवाद बढ़ता देख महापौर ने स्थिति संभालने की कोशिश की। उन्होंने आश्वासन दिया कि मोहनलालगंज सांसद का नाम विकास कार्यों से जुड़े शिलापट्टों पर अवश्य लिखा जाएगा। महापौर के आश्वासन के बाद विपक्ष शांत हुआ और कार्यवाही आगे बढ़ सकी।