उज्जैन
आषाढ़ी पूर्णिमा पर 10 जुलाई को भगवान कालभैरव को छप्पन पकवानों का भोग लगाया जाएगा। शहर के अन्य भैरव मंदिरों में भी सुबह अभिषेक पूजन, दिन में हवन अनुष्ठान तथा शाम को महाआरती के आयोजन होंगे। कुल परंपरा अनुसार घरों में भी कुलभैरव का पूजन किया जाएगा। आषाढ़ मास की पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा महाभैरव की पूजा का भी दिन है। मालवा की लोकपरंपरा अनुसार इस दिन घरों में कुल भैरव का पूजन किया जाता है।
भैरव मंदिर में दर्शनार्थियों का लगेगा तांता
धर्मधानी उज्जैन में अष्ट महाभैरव की मान्यता है। इसलिए यह आदि अनादिकाल से भैरव साधना का केंद्र भी रही है। आज भी कालभैरव, विक्रांत भैरव आदि यहां तंत्र के अधिष्ठात्र देवता के रूप में पूजे जाते हैं। भैरव पूर्णिमा पर अष्ट महा भैरव मंदिर में दर्शनार्थियों का तांता लगेगा। कालभैरव मंदिर के पं.ओमप्रकाश चतुर्वेदी ने बताया आषाढ़ी पूर्णिमा पर सुबह कालभैरव का भैरव सहस्त्रनामावली से महा अभिषेक होगा।
इसके बाद विशेष शृंगार किया जाएगा। सुबह शाम मदिरा का विशेष भोग लगेगा। शाम को महाआरती होगी। भक्तों को दिनभर महाप्रसादी का वितरण किया जाएगा। इसी प्रकार सिंहपुरी स्थित आताल पाताल भैरव, भागसीपुरा स्थित आनंद भैरव, छप्पन भैरव, कालिदास उद्यान स्थित दंडपाणि भैरव, चक्रतीर्थ स्थित बम बटुक भैरव मंदिर में भी अभिषेक, पूजन, शृंगार, महाप्रसादी व महाआरती होगी।
सांदीपनि महोत्सव के रूप में मनाएं गुरुपूर्णिमा
पंचांगकर्ता, ज्योतिर्विद पं.आनंद शंकर व्यास ने मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव को पत्र लिखकर गुरुपूर्णिमा को सांदीपनि महोत्सव के रूप में मनाने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए पं.व्यास ने लिखा है कि पांच हजार साल पहले आपके गृह नगर उज्जैन में मुनि सांदीपनि के आश्रम में प्रथम गुरुकुल की स्थापना हुई थी। भगवान बलराम, श्रीकृष्ण मुनि सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण करने आए और उसी दिन से गुरु शिष्य परंपरा की शुरुआत हुई। गुरुपूर्णिमा इसी परंपरा का उत्सव रूप है। इसलिए मध्य प्रदेश के स्कूल, कॉलेज में यह उत्सव सांदीपनि महोत्सव के नाम से मनाया जाना चाहिए।