भोपाल
मध्यप्रदेश राज्य नीति आयोग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री ऋषि गर्ग ने कहा है कि “सतत विकास केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और आमजन की साझेदारी अनिवार्य है। उन्होंने ‘विकसित मध्यप्रदेश @2047’ दृष्टिपत्र की रूपरेखा साझा करते हुए बताया कि राज्य सरकार की रणनीति किस प्रकार सतत विकास लक्ष्यों के साथ सुसंगत है। श्री गर्ग "प्राइवेट सेक्टर एंगेजमेंट इन एसीलेरेटिंग एसडीजी इंप्लीमेंटशन इन मध्यप्रदेश" विषय पर गुरूवार को भोपाल में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ कर संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला मध्यप्रदेश राज्य नीति आयोग और जीआईजेड इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई। यह कार्यशाला इंडो-जर्मन ग्रीन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट पार्टनरशिप (जीएसडीपी) परियोजना के अंतर्गत आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (एडीजीएस) को स्थानीय स्तर पर तेज़ी से लागू करना, निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना और राज्य की विकास योजनाओं को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से जोड़ना था।
जीआईजेड इंडिया की परियोजना प्रमुख सुश्री हेनरीके पाईशर्ट ने इंडो-जर्मन सहयोग की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जीआईजेड राज्य सरकार को योजना निर्माण, क्षमता संवर्धन, सहभागिता और निगरानी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग कर रहा है।
उद्घाटन सत्र में यूएनडीपी की रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव सुश्री एंजेला लुसीगी ने वैश्विक एसडीजी प्रगति की स्थिति पर चिंता जताते हुए बताया कि वर्तमान में मात्र 12% लक्ष्य ही ट्रैक पर हैं। उन्होंने भारत और विशेष रूप से मध्यप्रदेश की प्रशंसा की, जहां गरीबी उन्मूलन, स्वच्छ ऊर्जा और जल सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एमपीएसआरएलएम) की सीईओ सुश्री हर्षिका सिंह ने ‘लखपति दीदी’ योजना सहित अन्य नवाचारों की जानकारी दी, जो निजी क्षेत्र के साथ संभावित सहयोग के नए अवसर खोलते हैं, विशेषकर जलवायु-अनुरूप कृषि, वेस्ट मैनेजमेंट और कार्बन क्रेडिट जैसे क्षेत्रों में विशेष उपलब्धि हासिल की है।
इस अवसर पर इंडो-जर्मन जीएसडीपी परियोजना का औपचारिक शुभारंभ भी किया गया। नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार श्री राजीब कुमार सेन ने एसडीजी इंडिया इंडेक्स, बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमडीपीआई), और राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क पर विस्तृत जानकारी दी।
राज्य पर केंद्रित सत्र में श्री ऋषि गर्ग ने बताया कि ‘विकसित मध्यप्रदेश @2047’ के तहत राज्य की योजना में 22 प्रमुख मिशन और 300 से ज्यादा एक्शन पॉइंट्स शामिल हैं, जिनमें से 200 से अधिक लक्ष्यों को आगामी पांच वर्षों में पूरा किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि पंचायत स्तर पर 22 हजार 519 ग्राम पंचायतों को 9 विषयों पर प्रशिक्षित किया गया है।
तकनीकी सत्र में आईआईटी इंदौर के प्रो. मनीष गोयल ने एनडीवीआई आधारित भूमि क्षरण और सूखा जोखिम का अध्ययन प्रस्तुत किया। डॉ. आशीष देसाई (एसपी जैन, मुंबई) ने "प्राफिट टू पर्पज" विषय पर निजी क्षेत्र की भूमिका रेखांकित की और एचयूएल के शक्ति एएमएमए कार्यक्रम, ईएसजी निवेश और वसुधैव कुटुंबकम की प्रशंसा की।
प्रिंसिपल आर्किटेक्ट श्री दिवाकर किशोर ने डिजिटल तकनीक, डेटा और विविधता के संयोजन से 70% एसडीजी लक्ष्यों की पूर्ति की संभावना जताई। प्रश्नोत्तर सत्र में प्रतिभागियों ने भूमि क्षरण, निजी निवेश, विज्ञान और सीएसआर फंडिंग पर गहन प्रश्न पूछे, जिनका उत्तर श्री ऋषि गर्ग ने राज्य की प्रतिबद्धताओं के साथ दिया।
पैनल चर्चा का संचालन सुश्री हेनरीके पाईशर्ट ने किया। इस चर्चा में ओडिशा, इंडो-जर्मन चेम्बर ऑफ कॉमर्स, यूएनडीपी और एसपी जैन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च इंस्टीटयूट के विशेषज्ञों ने वित्तीय नवाचार, सार्वजनिक-निजी भागीदारी, ग्रीन स्किलिंग और जोखिम न्यूनीकरण जैसे विषयों पर व्यावहारिक सुझाव साझा किए।
अंतिम सत्र “सर्वश्रेष्ठ प्रथाएँ और अनुभव” में मेघालय, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राज्यों में एसडीजी स्थानीयकरण की चुनौतियों और नवाचारों को साझा किया। जर्मन काउंसिल फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की सुश्री अन्ना लोटा नागेल ने स्थानीय सतत विकास रिपोर्टिंग पर अपने अनुभव साझा किए।
यह कार्यशाला मध्यप्रदेश में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीएस) को ज़मीन पर उतारने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने और राज्य की योजनाओं को अंतरराष्ट्रीय सहयोग से जोड़ने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हुई। इसमें अलग-अलग राज्यों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए, जिससे सभी को व्यावहारिक सीख और समाधान मिले।