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महाशिवरात्रि पर रात के 4 प्रहर में पूजा करने का महत्व, घर पर ऐसे करें पूजा

 

हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि मनाई जाती है. इस साल 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था. वहीं, ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन सबसे पहला ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ था. शिव भक्त इस दिन को पर्व की तरह मनाते हुए उपवास करते हैं और महादेव व माता पार्वती की पूजा करते हैं. कुछ लोग मंदिरों- शिवालयों में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक भी करते हैं.

महाशिवरात्रि के मौके पर अगर आप भी उपवास रखते हैं या घर व मंदिर में महादेव की खास पूजा कर सकते हैं, तो आपको महाशिवरात्रि का पूजा विधि पता होनी चाहिए. महाशिवरात्रि की पूजा के लिए कुछ खास सामग्री की जरूरत होती है. ऐसे में आइए आपको इस लेख में बताते हैं कि महाशिवरात्रि पर शिवजी की पूजा में क्या सामग्री चाहिए और घर पर महाशिवरात्रि की पूजा कैसे करें.

महाशिवरात्रि पूजा सामग्री लिस्ट

    शिव जी की तस्वीर या शिवलिंग
    बेलपत्र, भांग, धतूरा
    मदार पुष्प या फूलों की माला
    शमी के पत्ते
    कमल और सफेद फूल
    गाय का दूध, दही, शक्कर
    गंगाजल, महादेव के वस्त्र
    माता पार्वती के श्रृंगार का सामान, वस्त्र
    जनेऊ, चंदन, केसर, अक्षत्
    इत्र, लौंग, छोटी इलायची, पान-सुपारी
    मौली, रक्षा सूत्र, भस्म, अभ्रक, कुश का आसन
    शहद, बेर, मौसमी फल, खस
    शिव चालीसा, शिव आरती, महाशिवरात्रि व्रत कथा की किताब
    भोग के लिए हलवा, ठंडाई या लस्सी
    हवन के लिए सामग्री
    दान की सामान जैसे वस्त्र, अन्न, गुड़, घी आदि
    आरती के लिए दीया, गाय का घी और कपूर

महाशिवरात्रि की चार प्रहर की पूजा

महाशिवरात्रि के दिन लोग शिव मंदिर में जाकर पूजा करते हैं, शिवलिंग का अभिषेक करते हैं, आरती करते हैं और मंत्रोच्चारण करते हैं. साथ ही, इस पूरे दिन व्रत भी रखा जाता है. महाशिवरात्रि पर रात के 4 प्रहर में पूजा करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है.

पहला प्रहर शाम 6 से 9 तक, दूसरा प्रहर रात 9 से 12 बजे तक, तीसरा प्रहर रात 12 से 3 बजे तक और चौथा प्रहर रात 3 बजे से अगले दिन सुबह 6 बजे तक होता है. शिव महापुराण के अनुसार, इन चार प्रहरों में महाशिवरात्रि की पूजा करने का बेहद ही विशेष महत्व माना गया है.

धार्मिक मान्यता है जो इन 4 प्रहर में शिव पूजा करते हैं उन्हें पूरे साल पुण्य का फल प्राप्त होता है. इस दिन अगर आप किसी कारणवश मंदिर नहीं जा पा रहे हैं तो आप अपने घर पर ही महाशिवरात्रि की पूजा कर सकते हैं.

घर पर महाशिवरात्रि की पूजा कैसे करें?

    सुबह स्नान के बाद सफेद रंग के कपड़े पहनें और फिर भोलेनाथ के सामने निराहार व्रत का संकल्प लें.
    अगर आप निराहार नहीं रह सकते हैं, तो दूध, फल या फलों के रस का सेवन कर सकते हैं.
    दिनभर ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए. भोलेनाथ की पूजा में त्रिपुंड का विशेष महत्व माना गया है.
    शाम को सूर्यास्त से पहले फिर से स्नान और फिर शाम के समय शुभ मुहूर्त में घर में पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें.
    अब उत्तर दिशा की ओर मुंह करके चंदन को तीन उंगलियों में लगाएं. अपने सिर के बायीं ओर से दायीं ओर की तरफ त्रिपुंड लगाएं.
    फिर घर के मंदिर में शिवलिंग की पूजा करें. पूजा में सबसे पहले गणपति बप्पा का नाम लें. उसके बाद ही शिव पूजन शुरू करें.
    पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. हाथ में रुद्राक्ष और एक बेलपत्र लेकर इस मंत्र को बोलते हुए पूजा का संकल्प लें –
    ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये
    फिर शुद्ध जल लें और उसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाएं. इसी जल से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए और इस दौरान मंत्र का जाप करें.
    जल से अभिषेक करने के बाद पंचामृत बनाएं. इसे बनाने के लिए दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, गन्ने का रस और शक्कर मिलाएं.
    इस पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें. फिर एक बेलपत्र चढ़ाकर शिवलिंग की पूजा करें. भस्म या चंदन से महादेव को त्रिपुंड लगाएं.
    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ –
    शिव जी का अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें. इस मंत्र का उच्चारण मात्र से शिव जी समस्त प्रार्थना पूरी करते हैं.
    11 बेलपत्र में ऊं लिखकर भोलेनाथ को अर्पित करें. बेलपत्र अर्पित करते समय ये मंत्र बोलें – ‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥’
    भांग, पान, बेला या आक के फूल, धतूरा, अबीर, गुलाल, शमी पत्र, एक मुठ्ठी अक्षत शिवलिंग पर चढ़ाएं. साथ ही, काले धतूरे को फोड़कर उसका फल चढ़ाएं.
    फिर धूप और चौमुखी घी का दीपक लगाकर शिव चालीसा का पाठ करें. इसके बाद शिवजी को भोग लगाएं. फिर ‘ऊँ गं गणपतयै नम:’ और ‘ऊँ नम: शिवाय’ मंत्रों का जाप करें.
    भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से फूल अर्पित कर भगवान शिव की आरती और आधी परिक्रमा करना चाहिए.
    इसके बाद कपूर जलाकर आरती करें औरपूजा में हुई गलती के लिए शिवजी से क्षमा मांगे. पूजा होने के बाद सभी को प्रसाद बांटें और खुद भी खाएं.