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ऑपरेशन सिंदूर से कांपे आतंक के आका, PoK छोड़ अब नए ठिकानों की तलाश

नई दिल्ली

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 बड़े आतंकवादी ठिकाने ध्वस्त कर दिए गए थे. भारत के इस प्रहार से आतंक के आका डरे हुए हैं. लिहाजा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन विशेषकर जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिज्बुल मुजाहिदीन (HM) ने अपनी गतिविधियों का केंद्र बदलकर PAK के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है. ये बदलाव दिखाता है कि अब वे पीओके को असुरक्षित मानते हैं. जबकि, खैबर पख्तूनख्वा उन्हें बेहतर सुरक्षा देता है, क्योंकि ये अफगान सीमा के नज़दीक है और यहां अफगान युद्ध से जुड़े पुराने जिहादी ठिकाने मौजूद हैं.

जैश-ए-मोहम्मद का भर्ती अभियान खुला 

14 सितंबर 2025 को भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच शुरू होने से करीब 7 घंटे पहले जैश-ए-मोहम्मद ने खैबर पख्तूनख्वा के मनसेहरा ज़िले के गढ़ी हबीबुल्लाह कस्बे में खुलेआम भर्ती अभियान चलाया था. ये आयोजन दिखावे में तो देवबंदी धार्मिक सभा था, लेकिन असल में इसे जैश-ए-मोहम्मद और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई) ने मिलकर आयोजित किया था. इसका असल मकसद लोगों को कट्टरपंथ की तरफ खींचना और भर्ती करना था, यानी कट्टरपंथी स्पीच देकर उनका ब्रेनवॉश करना था.

मसूद इलियास कश्मीरी का भड़काऊ भाषण

भारत में वांछित आतंकवादी और जैश-ए-मोहम्मद का बड़ा चेहरा मसूद इलियास कश्मीरी, जो संगठन के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर का करीबी माना जाता है, उसने सभा में भड़काऊ भाषण दिया. उसने ओसामा बिन लादेन की तारीफ करते हुए उसे 'शोहदा-ए-इस्लाम' और 'अरब का राजकुमार' बताया. कश्मीरी ने जैश-ए-मोहम्मद की विचारधारा को अल-कायदा की विरासत से जोड़ते हुए खैबर पख्तूनख्वा को मुजाहिदीन की स्थायी पनाहगाह बताया.

जैश का अगला ठिकाना बना पेशावर

जैश अब 25 सितम्बर को पेशावर में एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रहा है. इस बार जैश नए नाम अल-मुराबितून का इस्तेमाल करेगा, ताकि दुनिया की नजरों से बचा जा सके. 'अल-मुराबितून' का मतलब है इस्लाम की जमीन के रक्षक.

नए ट्रेनिंग सेंटर्स का निर्माण

सूत्रों ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद मनसेहरा में एक नया ट्रेनिंग सेंटर बना रहा है, जिसका नाम मरकाज़ शोहदा-ए-इस्लाम रखा गया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस कैंप का दायरा बढ़ा है, इसका मकसद इस इलाके में जैश की भर्ती और ट्रेनिंग के कामों को सुगम बनाना है. रिपोर्ट्स के मुताबिक हिज्बुल मुजाहिदीन के पूर्व पाकिस्तानी कमांडो खालिद खान के नेतृत्व में खैबर पख्तूनख्वा के निचले दीर के बंदाई इलाके में 'HM313' नाम से नया प्रशिक्षण केंद्र बन रहा है. ये कैंप पीओके में तबाह हुए शिविरों की जगह लेना चाहता है. साथ ही कश्मीर में विचारधारा और सीमा पार योजना बनाने का एक मंच बनेगा.

जिहादी नेटवर्क का फायदा उठा रहे आतंकी संगठन

जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन का खैबर पख्तूनख्वा में एक्टिव होना क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है. ये दिखाता है कि ये आतंकी संगठन धार्मिक और राजनीतिक सभाओं के बहाने लोगों की भर्ती को सामान्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं और इलाके में पहले से मौजूद जिहादी नेटवर्क का फायदा उठा रहे हैं, इन गतिविधियों से यह सवाल भी उठता है कि क्या पाकिस्तानी सरकार सच में आतंकवाद के खिलाफ सख्त है और क्या वह क्षेत्रीय स्थिरता लाने में ईमानदारी से काम कर रही है.

पाकिस्तान पर लगातार दबाव बनाना जरूरी

पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों का ये रणनीतिक बदलाव भारत और पूरी दुनिया के लिए बड़ी चिंता है. जैश-ए-मोहम्मद के खुलेआम भर्ती अभियान और हिज्बुल मुजाहिदीन के नए शिविर साफ दिखाते हैं कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर पल रहे आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठा रहा. इसलिए, पाकिस्तान पर लगातार दबाव बनाए रखना जरूरी है, ताकि वह इन संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी पाकिस्तान को उसके कामों के लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह आतंकवाद रोकने और क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए गंभीर कदम उठाए.

खैबर पख्तूनख्वा (KPK) क्यों चुना गया?

– PoK पर अब भारत की सीधी मार पड़ रही है.
– KPK पहाड़ी इलाका है, अफगानिस्तान के पास है और पहले से आतंकी छिपने की जगहें हैं.
– यहां आतंकियों को ज़्यादा सुरक्षित महसूस होता है.