शिमला,
हिमाचल प्रदेश से दक्षिण-पश्चिम मानसून जल्द ही विदा होने वाला है। मौसम विभाग ने बताया कि राज्य से मॉनसून की विदाई के लिए परिस्थितियाँ पूरी तरह अनुकूल हो गई हैं और अगले 24 घंटों में मानसून हिमाचल से विदा हो जाएगा। विभाग ने अनुमान जताया है कि राज्य भर में 30 सितम्बर तक मौसम पूरी तरह साफ रहेगा और लोगों को अगले एक हफ्ते तक गुनगुनी धूप का आनंद मिलेगा। बीते 24 घंटों के दौरान पूरे प्रदेश में कहीं भी बारिश नहीं हुई है और आज सुबह से ही धूप खिली हुई है। इस तरह सितंबर के अंत तक राज्य में मौसम शुष्क रहने की संभावना है।
इधर, बीते दिनों हुई भारी बारिश से प्रभावित इलाकों में बंद पड़ी सड़कों को खोलने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार फिलहाल प्रदेश में 2 नेशनल हाइवे और 320 सड़कें अभी भी अवरुद्ध हैं। ऊना और कुल्लू जिले में एक-एक नेशनल हाइवे बंद है, जबकि मंडी में 105, कुल्लू में 100, कांगड़ा में 40 और शिमला में 21 सड़कें बंद पड़ी हैं। इसके अलावा 46 बिजली ट्रांसफार्मर और 69 पेयजल योजनाएं भी ठप पड़ी हैं, जिससे स्थानीय लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इस मानसून सीजन ने हिमाचल को गहरे जख्म दिए हैं। राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 454 लोगों की मौत हुई है और 50 लोग अब भी लापता हैं। मृतकों में सर्वाधिक 68 लोग चंबा जिले में मारे गए हैं, जबकि मंडी में 67, कांगड़ा में 57, कुल्लू में 49, शिमला में 48, सोलन में 32, किन्नौर में 30, ऊना में 29, बिलासपुर में 24, सिरमौर में 23, हमीरपुर में 17 और लाहौल-स्पीति में 10 लोगों की मौत दर्ज की गई है। लापता लोगों में 30 मंडी से हैं, जबकि चंबा से 5, सिरमौर से 4, शिमला और किन्नौर से 3-3, कुल्लू और कांगड़ा से 2-2 तथा लाहौल-स्पीति से एक व्यक्ति लापता है। इस दौरान 498 लोग घायल भी हुए हैं।
प्राकृतिक आपदाओं ने न केवल इंसानों की जान ली बल्कि हजारों परिवारों को बेघर भी किया है। अब तक 1,736 मकान पूरी तरह जमींदोज हो चुके हैं जबकि 7,494 मकानों को आंशिक क्षति पहुँची है। इसके अलावा 496 दुकानें और 7,399 गौशालाएं भी ध्वस्त हुई हैं। पशुधन में 2,519 मवेशियों और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत दर्ज की गई है।
सरकार द्वारा किए गए प्रारंभिक आकलन के अनुसार इस मानसून सीजन में अब तक कुल 4,881 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। इनमें सबसे अधिक क्षति लोक निर्माण विभाग को हुई है, जहां सड़कों और पुलों को 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचा है। जलशक्ति विभाग को 1,476 करोड़ और ऊर्जा विभाग को 1,394 करोड़ रुपये की क्षति दर्ज की गई है।
प्राकृतिक आपदाओं के रूप में इस मानसून ने 148 बार भूस्खलन, 98 बार फ्लैश फ्लड और 47 बार बादल फटने की घटनाएं दीं। लाहौल-स्पीति में सबसे ज्यादा 30 बार भूस्खलन हुआ, जबकि शिमला में 29 बार। फ्लैश फ्लड की सबसे अधिक 57 घटनाएं भी लाहौल-स्पीति में दर्ज की गईं। बादल फटने की घटनाएं मंडी जिले में सबसे ज्यादा 19 बार हुईं, जबकि कुल्लू में 12 और चंबा में 6 बार बादल फटे।
गौरतलब है कि इस साल मानसून 20 जून को हिमाचल पहुँचा था और सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश से मानसून की सामान्य विदाई तिथि 25 सितम्बर मानी जाती है, लेकिन बीते दस वर्षों में केवल तीन बार ही यह सितम्बर में विदा हुआ है, जबकि सात बार अक्टूबर में विदाई हुई। वर्ष 2024 में मानसून 2 अक्टूबर, 2023 में 6 अक्टूबर और 2022 में 3 अक्टूबर को विदा हुआ था। इस बार इसके समय से पहले लौटने की संभावना है।