शारदीय नवरात्र का पावन पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए समर्पित है. हर साल पूरे देश में यह नवरात्र उत्साह और भक्ति के साथ मनाए जाते हैं. इस साल शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से प्रारंभ हो रहे हैं. इन नौ दिनों के दौरान भक्त माता की पूजा, हवन, भजन, कीर्तन और ध्यान में लीन रहते हैं.
धार्मिक परंपराओं के अनुसार, नवरात्र में कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी है. ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्र के नियमों के बारे में.
तय समय पर पूजा करें
धार्मिक मान्यता है कि माता दुर्गा की पूजा हमेशा एक ही समय पर करनी चाहिए. यह समय सुबह के सूर्योदय के आसपास या शाम को संध्या समय में हो सकता है. नियमित समय पर पूजा करने से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
अखंड ज्योति हमेशा जलती रहे
यदि आपने नवरात्र के दौरान घर में अखंड ज्योति जलाई है, तो उसे नवरात्र के पूरे नौ दिनों तक लगातार जलती रखना चाहिए. मान्यता है कि यदि ज्योति बुझ जाए, तो यह अशुभ संकेत माना जाता है. मान्यता है कि अखंड ज्योति को जलाने से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
सही दिन, सही देवी को भोग अर्पित करें
नवरात्र के प्रत्येक दिन माता दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है. इसलिए उस दिन की देवी के अनुसार भोग, फल, फूल और मिठाई अर्पित करना चाहिए. सही दिन पर सही देवी को भोग अर्पित करने से पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं.
जरूर करें कन्या पूजन
नवरात्र में कन्या पूजन अष्टमी या नवमी तिथि पर नौ कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनका पूजन होता है. इससे घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है. मान्यता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और जीवन में मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं.