Tuesday , September 23 2025
ताज़ा खबर
होम / देश / रामजल मीणा: मजदूरी की, गार्ड बने और अब हैं जेएनयू स्टूडेंट

रामजल मीणा: मजदूरी की, गार्ड बने और अब हैं जेएनयू स्टूडेंट

नई दिल्ली
राजस्थान के रामजल मीणा जब 2014 में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में बतौर सिक्यॉरिटी गार्ड तैनात हुए तो जेएनयू का माहौल उन्हें भा गया। पढ़ने में दिलचस्पी बचपन से थी मगर घर के हालात से मजबूर थे। ठहर-ठहर कर पढ़ाई की, घर की हर जिम्मेदारी को संभालते हुए। अब जेएनयू का खुला माहौल उन्हें और पढ़ने की ओर खींचने लगा। रामजल ने जमकर कुछ ऐसी मेहनत की कि जेएनयू का 2019-20 का एंट्रेंस एग्जाम क्रैक कर बीए रशियन लैंग्वेज के स्टूडेंट बन गए। हालांकि, ख्वाब अभी और हैं। वो इस यूनिवर्सिटी से और पढ़कर सिविल्स सर्विसेज का मैदान फतह करने का जज्बा रखते हैं।

परिवार की जिम्मेदारियों में छूटी पढ़ाई
राजस्थान के छोटे से गांव भजेड़ा के रामजल मीणा कहते हैं, हिंदी साहित्य, पॉलिटिकल साइंस और हिस्ट्री के साथ मैं बीए कर चुका हूं, मगर राजस्थान में ओपन एजुकेशन से। जेएनयू देखकर फिर से पढ़ने का मन हुआ तो तय किया कि एक बार फिर बीए करूंगा। वैसे मैं साइंस का स्टूडेंट था, बीएससी फर्स्ट इयर भी किया, मगर 2003 में शादी हो गई। उसके बाद परिवार की जिम्मेदारी की वजह से यह छूट गया।

रामजल के परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं। गांव में माता-पिता हैं। तीन बहनों की शादी का जिम्मा निभाते हुए उन्होंने 2003 में मजदूरी भी की। वह याद करते हैं, उस वक्त एक दिन का 70 रुपये मिलते थे, पूरा दिन काम करके। मगर फिर एक दिन पिता ने कहा, पढ़ाई करो और कुछ बढ़िया करो। क्लास 5 से 10 तक क्लास में हमेशा पहला नंबर आता था इसलिए उन्हें कुछ उम्मीदें थीं। फिर वह जयपुर आ गए। वहां ओपन से बीए का फॉर्म भरा। वहां देखा एक सिक्यॉरिटी कंपनी में भर्ती हो रही थी।

रामजल बताते हैं, ‘मैं भी चला गया और भर्ती हो गया। इसके बाद ट्रेनिंग के लिए गुड़गांव पहुंचा, फिर दिल्ली मेट्रो में सिक्यॉरिटी गार्ड बना और फिर 2014 में जेएनयू पहुंचा। रामजल ओपन से मास्टर्स का फर्स्ट इयर भी कर चुके हैं।

ड्यूटी के दौरान पढ़ाई पर पड़ती थी डांट
जेएनयू में अपनी तैयारी के बारे में रामजल बताते हैं, ‘ड्यूटी के साथ और घर में जब भी टाइम मिला मैंने पढ़ाई की। कभी कभी ड्यूटी के बीच पढ़ने पर डांट भी पड़ी मगर साथ भी मिला। सीनियर्स, प्रफेसर्स और स्टूडेंट्स सबने हौसला बनाए रखा। मैं जेएनयू में था, पढ़ने का जज्बा हर वक्त मिलता रहा। यह कैंपस पर्यावरण और पढ़ाई की नजर से इतना खूबसूरत है कि यहां से पढ़ने का हमेशा मन करता है।’

बीए-रशियन लैंग्वेज के चुनाव पर वह कहते हैं, इस चॉइस के बारे बहुत नहीं सोचा था। रशिया के बारे में अखबार में पढ़ता था, चाहे उनकी मिसाइल की बात हो या फिर संस्कृति की। सुना था वहां का साहित्य भी बहुत अच्छा है तो इसी को चुन लिया।

रामजल कहते हैं, ‘इसे पूरा करने के बाद और पढ़कर सिविल सर्विसेज का एग्जाम देना चाहता हूं ताकि जिंदगी में कुछ और अच्छा कर सकूं। अभी तो बस यह प्लान बना रहा हूं कि किस तरह से नौकरी करते हुए पढ़ाई का बैलेंस बनाऊंगा।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)