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5-6 अक्टूबर 2025: शरद पूर्णिमा कब है और क्यों बनती है खीर चांदनी रात में?

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। इसके अलावा आपने देखा होगा कि इस दिन चांदनी रात में खीर रखी जाती है लेकिन क्या आपने सोचा है कि इसके पीछे की वजह क्या है? वहीं इस साल लोगों में बड़ा सवाल है कि शरद पूर्णिमा 2025 कब है 5 अक्टूबर या 6 अक्टूबर कब है? क्योंकि आपने देखा कि नवरात्रि में भी व्रत पूरे 10 दिन रखे गए थे और 11वें दिन विजयदशमी मनाई गई थी।

इसलिए शरद पूर्णिमा को लेकर भी कंफ्यूजन है। शास्त्रों के अनुसार तिथि और नक्षत्र मिलान से सही मुहूर्त का निर्धारण किया जाता है। इस दिन व्रत, जागरण और लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। आइए जान लेते हैं कि इस बार शरद पूर्णिमा कब है और चांदनी रात में खीर रखने का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या है?

कब है शरद पूर्णिमा?
इस बार शरद पूर्णिमा कब है ये जान लेते हैं। हिंदू पंचाग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी जो 7 अक्टूबर की सुबह 9 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। शरद पूर्णिमा के दिन रात की पूजा का महत्व होता है और चंद्र देवता की पूजा होती है तो इस वजह से शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर 2025, दिन सोमवार को मनाई जाएगी।

चांदनी रात में खीर रखने का धार्मिक कारण
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत तत्व बरसता है और उसी वजह से खीर को रातभर चांदनी में रखने की परंपरा है। कहा जाता है कि चांदनी से युक्त खीर को मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का प्रसाद माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन चांद की पूजा की जाती है जिन्हें शीतलता और शांति का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांदनी रात में रखी खीर में औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसे खाने से स्किन संबंधी बीमारी दूर होती है और कई तरह के रोगों से छुटकारा मिलता है। ये माना जाता है कि शास्त्रों में वर्णन है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अमृत वर्षा करता है। उस अमृत से युक्त खीर का सेवन करने से तन-मन शुद्ध और रोगमुक्त होता है। माना जाता है कि यह खीर धन, सुख और मोक्ष प्रदान करती है। ये खीर शरीर को शुद्ध करती है और मन को शांत करती है। बता दें कि इस खीर को उसी रात नहीं बल्कि अगले दिन सुबह प्रसाद के रूप में खाना चाहिए।

चांदनी रात में रखी खीर खाने का वैज्ञानिक कारण
आपने शरद पूर्णिमा के दिन चांदनी रात में रखी खीर खाने का धार्मिक कारण तो जान लिया है अब वैज्ञानिक कारण भी जान लेते हैं। बता दें कि इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के बहुत निकट होता है और उसकी अल्ट्रावायलेट किरणे सीधे धरती पर पड़ती हैं। वो किरणें खीर में पड़ती है तो वो पौष्टिक और सेहत के लिए बहुत लाभकारी बन जाती है। ऐसा कहा जाता है कि रात भर चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर को खाने से पाचन तंत्र ठीक रहता है और शरीर को ठंडक मिलती है। इसके अलावा ये खीर सुपाच्य होती है जो पित्त दोष और मानसिक तनाव से राहत देती है। कम लोगों को पता होगा कि चंद्रमा की रोशनी कैल्शियम को सक्रिय करती है, जिससे यह खीर और अधिक पौष्टिक बनती है।