रायपुर
कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कमिश्नरी सिस्टम लागू करने की तैयारी है। सीएम विष्णुदेव साय के बाद राज्य के गृहमंत्री और डेप्युटी सीएम विजय शर्मा ने भी कमिश्नरी सिस्टम को लेकर अहम जानकारी दी है। विजय शर्मा ने कहा कि हम कमिश्नरी प्रणाली लेकर आ रहे हैं, जिससे पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित होगी और पुलिस त्वरित निर्णय ले सकेगी। जीरो पॉइंट पर निर्णय लेने के लिए प्रैक्टिस चल रही है।
क्या है कमिश्नरी सिस्टम
पुलिस कमिश्नरी सिस्टम एक प्रशासनिक व्यवस्था है। इस व्यवस्था के अंतर्गत पुलिस आयुक्त के पास कानून-व्यवस्था और पुलिस प्रशासन से संबंधित सभी शक्तियां होती हैं। ज्यादा शक्तियां होने से पुलिस को तेजी से निर्णय ले सकती है। इस सिस्टम के तहत पुलिस आयुक्त के पास जिला मजिस्ट्रेट जैसी शक्तियां हो जाती हैं।
कई जगहों पर लागू है यह सिस्टम
पुलिस कमिश्नरी सिस्टम देश के कई राज्यों में बड़े शहरों में लागू है। जिले का एसपी पुलिस का मुखिया होता है। कानून व्यवस्था को कंट्रोल करना एसपी की अहम जिम्मेदारी होती है। लेकिन यह सिस्टम लागू होने के बाद एसपी, एसएसपी की जगह पुलिस कमिश्नर होता है। पुलिस कमिश्नर किस रैंक के अधिकारी को बनाया जाएगा यह फैसला राज्य सरकार करती है। राज्य सरकार डीआईजी से लेकर एडीजी स्तर तक के अधिकारी को यह जिम्मेदारी दे सकती है।
जिस अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी जाती है वह अनुभवी अफसर होते हैं। राज्य सरकार उसके अधिकारों को लेकर नोटिफिकेशन जारी करती है। कौन-कौन से अधिकार देने हैं यह राज्य सरकार तय करती है। यह जरुरी नहीं है कि सारे अधिकार डिस्ट्रिक मैजिस्ट्रेट के जैसे हों।
क्या बदलाव होंगे
कमिश्नरी बन जाने से सबसे बड़ा फर्क यह पड़का है कि जिला पुलिस का मुखिया एक अनुभवी और ऊंचे रैंक वाला अधिकारी होता है। बहुत सारे काम उसकी मंसा के अनुरुप होते हैं। पुलिसिंग व्यवस्था प्रभावी बनती है। जरुरत के मुताबिक पुलिस फोर्स मिल सकती है। इसका फायदा आम जनता को भी मिलता है। छोटे मोटे दंड वाले अपराधों की तफ्तीस का अधिकार हेड कांस्टेबल को मिल जाता है। जिससे अपराध को नियंत्रण पर में मदद मिलती है। अभी ऐसे मसलों का निपटारा एसएआई या एसआई रैंक के अधिकारी करते हैं।