वाशिंगटन
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा और विवादित कदम उठाते हुए एच-1बी वर्क वीजा धारकों पर 1 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) की अतिरिक्त फीस लगाने का नया प्रावधान लागू किया है। यह आदेश 21 सितंबर 2025 की आधी रात (12:01 बजे) से लागू हो जाएगा। इस फैसले ने विशेष रूप से भारतीय पेशेवरों को गहरे संकट में डाल दिया है, क्योंकि सबसे अधिक संख्या में एच-1बी वीजा धारक भारत से ही आते हैं। इमिग्रेशन अटॉर्नी और टेक कंपनियां अपने कर्मचारियों को चेतावनी दे रही हैं कि वे तुरंत अमेरिका लौट आएं, अन्यथा प्रवेश पर रोक और फंसे रहने का जोखिम रहेगा।
कंपनियों ने भेजे आपात संदेश
सोशल मीडिया पर माइक्रोसॉफ्ट का एक आंतरिक ईमेल वायरल हुआ है, जिसमें कंपनी ने अपने एच-1बी वीजा धारक कर्मचारियों और उनके आश्रितों (H-4 वीजा) को अमेरिका से बाहर न जाने और जो बाहर हैं उन्हें तुरंत लौटने का निर्देश दिया है। ईमेल में कहा गया कि कर्मचारियों को "निकट भविष्य तक" अमेरिका में ही रहने की सलाह दी गई है ताकि “पुनः प्रवेश से वंचित होने” की स्थिति से बचा जा सके।
वकीलों की चेतावनी: 24 घंटे का समय भी नहीं
न्यूयॉर्क स्थित प्रसिद्ध इमिग्रेशन अटॉर्नी साइरस मेहता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “जो एच-1बी वीजा धारक अभी अमेरिका से बाहर बिजनेस ट्रिप या छुट्टियों पर हैं, वे आधी रात 21 सितंबर से पहले न लौट पाए तो फंस जाएंगे। भारत से सीधी उड़ान समय पर पहुंचना लगभग असंभव है, हालांकि कुछ मामलों में कैलिफोर्निया तक समय रहते पहुंचने की संभावना हो सकती है।”
भारतीय पेशेवर सबसे ज्यादा प्रभावित
एच-1बी वीजा धारकों में बड़ी संख्या भारतीयों की है। टेक सेक्टर में काम कर रहे हजारों भारतीय कर्मचारियों के सामने अब संकट खड़ा हो गया है। कंपनियों ने भी साफ कर दिया है कि वे ऐसे कर्मचारियों को प्राथमिकता दे रही हैं जो इस आदेश के लागू होने से पहले ही अमेरिका लौट आएं।
विशेषज्ञों का हमला: “भेदभाव और शोषण की नीतियां”
कैटो इंस्टीट्यूट के इमिग्रेशन स्टडीज निदेशक डेविड बियर ने ट्रंप प्रशासन पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा, “भारतीय एच-1बी वर्कर्स ने अमेरिका को बेहिसाब योगदान दिया है- सैकड़ों अरब डॉलर टैक्स के रूप में, दर्जनों अरब फीस के रूप में और सेवाओं के रूप में खरबों का योगदान दिया। फिर भी उन्हें बदले में क्या मिला? केवल भेदभाव और नफरत।”
बियर ने कहा कि भारतीय पेशेवर दशकों से स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं, जबकि अन्य देशों के लोगों की तुलना में उन्हें केवल जन्मस्थान के आधार पर रोका गया है। उन्होंने इसे “कानूनी व्यवस्था का सबसे भेदभावपूर्ण पहलू” करार दिया। उन्होंने आगे लिखा, “ये वे लोग हैं जिन्होंने कभी कानून नहीं तोड़ा, मेहनतकश हैं, शांतिप्रिय हैं और अमेरिका के विकास में सबसे अधिक योगदान देते हैं। लेकिन ट्रंप उन्हें अपराधी और नौकरी चोर के रूप में पेश कर रहे हैं। यह न केवल अन्याय है बल्कि अमेरिका के हितों के भी खिलाफ है।”
एच-1बी वीजा कार्यक्रम का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा: ट्रंप
ट्रंप ने एच-1बी वीजा आवेदन पर 1,00,000 डॉलर का शुल्क लगाने संबंधी सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि एच-1बी कार्यक्रम का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। ट्रंप ने 'कुछ गैर आप्रवासी कामगारों के प्रवेश पर रोक' संबंधी सरकारी आदेश पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किए। इस फैसले के तहत उन कामगारों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाई जाएगी, जिनके एच1बी आवेदन के साथ 100,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान नहीं किया गया होगा।
ट्रंप ने कहा, ‘‘ एच-1बी गैर आप्रवासी वीजा कार्यक्रम अस्थायी कामगारों को अमेरिका में लाने के लिए बनाया गया था ताकि वे अतिरिक्त, बेहद-कुशल कार्य कर सकें। लेकिन अमेरिकी कामगारों की जगह सस्ते और निम्न प्रशिक्षित कामगारों को लाकर वीजा कार्यक्रम का दुरुपयोग किया गया।” उन्होंने कहा, “एच-1बी कार्यक्रम का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा है। घरेलू कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने एच-1बी पर निर्भर आउटसोर्सिंग कंपनियों की पहचान और जांच की है, जो वीजा धोखाधड़ी, धन शोधन की साजिश… और विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका आने के लिए प्रोत्साहित करने वाली विभिन्न अवैध गतिविधियों में शामिल पाई गई हैं।”