Saturday , July 27 2024
ताज़ा खबर
होम / देश / सीवान तेजाब कांड: दो भाइयों को एसिड से नहलाया, शव के किए टुकड़े-टुकड़े, जानें कब क्या हुआ

सीवान तेजाब कांड: दो भाइयों को एसिड से नहलाया, शव के किए टुकड़े-टुकड़े, जानें कब क्या हुआ

सीवान के बहुचर्चित तेजाब कांड में पटना हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी शहाबुद्दीन की सजा को बरकरार रखा है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजग गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने महज कुछ ही मिनटों में इस मामले पर शहाबुद्दीन की याचिका खारिज कर दी। जैसे ही शहाबुद्दीन के वकील ने कुछ कहना चाहा पीठ ने पूछा- शहाबुद्दीन के खिलाफ गवाही देने जा रहे राजीवन रौशन को क्यों मार दिया? उसके मर्डर के पीछे कौन था? कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ित परिवार के मुखिया चंदा बाबू का फिर से न्यायालय पर भरोसा बढ़ गया होगा। अपने बेटे को गंवाने वाले चंदा बाबू केस की शुरूआत से ही न्यायालय के फैसले पर विश्वास जताते आ रहे हैं। उन्होंने इससे पहले पिछले साल अगस्त में हाईकोर्ट के फैसले को भी न्याय की जीत बताया। आइये बताते हैं क्या है पूरा मामला-

ये बात है 16 अगस्त 2004 की है। बिहार के एक जिले सीवान में चंद्रेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू जो की पेशे से एक व्यावसायी हैं अपनी पत्नी, बेटी और चार बेटों के साथ इस जिले में रहा करते थे। चंदा बाबू की एक किराने और परचून की दुकान थी। सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक 16 अगस्त की रात उनके लिए कभी न भूलने वाली रात बन गई। उस रात चंदा बाबू की एक दुकान पर उनका बेटा सतीश बैठा था और दूसरी दुकान पर दूसरा बेटा गिरीश बैठा था। उस दिन कुछ बदमाश चंदा बाबू की किराने की दुकान पर रंगदारी मांगने आए उन्होंने सतीश से 2 लाख की रंगदारी मांगी सतीश ने 2 लाख देने से मना कर दिया तो उन्होंने सतीश के साथ मारपीट की उस वक्त सतीश का भाई भी वहीं खड़ा था। मारपीट के बाद सतीश घर गया और तेजाब लाकर उसने  बदमाशों के ऊपर डाल दिया।

जब बदमाशों ने दोनों भाईयों को तेजाब से नहला दिया
बदमाशों पर तेजाब डालने के बाद वो सतीश और उसके भाई को पकड़कर ले गए और उनकी दुकान में आग लगा दी। उनका भाई राजीव इस पूरी वारदात को कहीं से छिपकर देख रहा था लेकिन बाद में वो भी बदमाशों के हाथ लग गया। फिर दोनों भाईयों को एक जगह बंधी बना लिया गया। बदमाशों ने राजीव को रस्सी से बांध दिया गया और राजीव की आंखों के सामने ही सतीश और गिरीश के ऊपर तेजाब से भरी बाल्टी उडेल दी। बड़े भाई राजीव की आंखों के सामने सतीश और गिरीश को तेजाब से जलाकर मार दिया गया। उसके बाद दोनों की लाश के टुकड़े-टुकड़े करके बोरे में भरकर फेंक दिए गया।

पिता को नहीं थी बेटों की मौत की खबर
जिस दिन इस पूरी घटना को अंजाम दिया गया उस दिन चंदा बाबू पटना में नहीं थे लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी दे दी गई थी कि उनके दो बेटों की हत्या कर दी गई है और वो अभी सीवान वापस ना आएं वरना मारे जाएंगे। इस दौरान राजीव बदमाशों की कैद से किसी तरह भाग निकला और स्थानीय सांसद के घर उसने शरण ली। इस पूरी घटना के दौरान चंदा बाबू की पत्नी, दोनों बेटियां और एक अपाहिज बेटा भी घर छोड़कर जा चुके थे। तभी चंदा बाबू ये खबर मिली कि उनका एक बेटा छत से गिर गया है हालांकि ये बदमाशों की साजिश थी ताकि चंदा बाबू सीवान आ जाएं।

दर-दर भटकते रहे चंदा बाबू, नहीं मिली थी मदद
जैसे-तैसे हिम्मत करके चंदा बाबू सीवान आए लेकिन उन्हें पुलिस की तरफ से कोई मदद नहीं मिली। दरोगा ने उनसे कहा कि वो तुरंत सीवान छोड़ दें। लेकिन बाबू ने हिम्मत नहीं हारी और वो पटना के एक नेता से मदद मांगने पहुंच लेकिन नेता ने भी पल्ला झाड़ लिया। दूसरी तरफ बदमाशों ने चंदा बाबू के भाई को भी धमकी दी जिसकी वजह से वो डरकर पटना छोड़कर मुबंई चले गए। इसके बाद चंदा बाबू पटना में ही रहने लगे। उन्हें पता चला की उनका बेटा रजीव जिंदा है।

राहुल गांधी से भी की मुलाकात
चंदा बाबू फिर किसी तरह सोनपुर के एक बड़े नेता से मिले। नेता ने उन्हें मदद का भरोसा दिया लेकिन इन सब के बाद भी कुछ ना हो सका। फिर बाबू दिल्ली आए और वहां उनकी मुलाकात राहुल गांधी से हुई लेकिन यहां भी सिर्फ उन्हें आश्वासन मिला। निराश होकर चंदा बाबू फिर से डीआईजी एके बेग से मिलने पहुंच गए। डीआईजी ने उनकी बात सुनकर एसपी को फटकार लगाई और सुरक्षा देने के लिए कहा। उसके बाद चंदा बाबू को सुरक्षा मिल गई और वह सिवान वापस आ गए। इसी बीच एक दिन उनका बेटा राजीव भी घर आ गया। कुछ दिनों बाद राजीव की शादी हो गई। मगर शादी के 18वें दिन यानी 16 जून, 2014 को राजीव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। चंदा बाबू ने थाने में रजीव की हत्या की FIR कराई। उन्होंने मो. शहाबुद्दीन पर उनके बेटे पर गोली मरवाने का आरोप लगाया।

…फिर हुई शाहबुद्दीन की गिरफ्तारी
2004 में तेजाब कांड के नाम से मशहूर सनसनीखेज हत्या कांड में शहाबुद्दीन के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया पर गिरफ्तारी नहीं हुई। लेकिन 2005 में जब नीतीश कुमार की सरकार आ गई तब शहाबुद्दीन पर शिकंजा कस गया। उसी साल शहाबुद्दीन को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। तभी से शहाबुद्दीन को कड़ी निगरानी के बीच जेल में रखा गया।

शहाबुद्दीन को निचली अदालत ने इस बीच कई मामलों में सजा सुनाई। उनके खिलाफ 39 हत्या और अपहरण के मामले थे। 38 में शाहबुद्दीन को जमानत मिल चुकी थी। 39वां केस राजीव का था जो अपने दो सगे भाईयों की हत्या का चश्मद्दीद गवाह था। मगर 2014 में उसकी हत्या के साथ ही शहाबुद्दीन की जमानत का रास्ता साफ हो गया था और आखिरकार 11 साल बाद शहाबुद्दीन जमानत पर बाहर आ गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत रद्द कर दी थी। अब आज इस केस में फैसला आएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)