कोरोना वायरस के संक्रमण से साउथ अफ्रीका में पांच भारतीय मूल के लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से गीता रामजी पांचवीं हैं. गीता रामजी की गिनती दुनिया के जाने-माने वायरोलॉजिस्ट में होती थी. उन्होंने भारत से हाईस्कूल की पढ़ाई की थी. इसके बाद वो साउथ अफ्रीका में बस गई थीं. बता दें कि वो लगातार कोरोना संक्रमण पर काम कर रही थीं. गीता रामजी से जुड़ी कुछ बातें यहां जानिए-
गीता रामजी की पहचान एक युगांडा-दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिक और एचआईवी की रोकथाम में शोधकर्ता के तौर पर थी. गीता रामजी को 2018 में पहचान मिली जब उनके काम के लिए यूरोपीय और विकासशील देशों के क्लिनिकल ट्रायल पार्टनरशिप से ‘उत्कृष्ट महिला वैज्ञानिक’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
1970 के दशक में गीता की परवरिश युगांडा में हुई. उन्होंने इंग्लैंड की University of Sunderland में दाखिला लेने से पहले भारत में हाई स्कूल तक शिक्षा ली थी. फिर साल 1980 में रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान में बीएससी (ऑनर्स) के साथ स्नातक किया.
उनका विवाह भी भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी से हुई. जिसके बाद वो डरबन साउथ अफ्रीका चली गईं. डर्बन में गीता रामजी ने University of KwaZulu-Natal के मेडिकल स्कूल के बाल चिकित्सा विभाग में काम करना शुरू कर दिया. इसी दौरान उन्होंने दो बच्चों के मातृत्व का दायित्व निभाते हुए मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की और बाद में 1994 में पीएचडी पूरी की.
वर्तमान में वो Aurum Institute में मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी थीं. ये इंस्टीट्यूट एक गैर-लाभकारी एड्स/तपेदिक अनुसंधान संगठन है. इसके अलावा वो दक्षिण अफ्रीकी चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रोकथाम अनुसंधान इकाई की निदेशक भी थीं. साल 2012 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोबायसाइड सम्मेलन में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला था.
वह लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, सिएटल में वाशिंगटन विश्वविद्यालय और केप टाउन विश्वविद्यालय में मानद प्रोफेसर भी थीं. बता दें कि 31 मार्च को कोविड 19 के संक्रमण से उनकी मौत हो गई.