मंत्री पद की दौड़ में पीछे रह गए सांसद अब दिल्ली में संगठन को मजबूत करेंगे। हाईकमान ने दिल्ली के सांसदों को पहले ही निर्देश दे दिया था कि सभी विधानसभा की तैयारी में जुट जाएं। लोकसभा चुनावों के दौरान सक्रिय रहे केंद्रीय मंत्री विजय गोयल भी इस बार कैबिनेट में जगह नहीं बना पाए हैं। उन्हें भी संगठन मजबूत करने के काम में लगाया जाएगा।
दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी और केंद्रीय मंत्री विजय गोयल भी मंत्री पद के दावेदार थे। मनोज तिवारी ने उत्तरी पूर्वी सीट पर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित को चुनाव में हराया है। वह दूसरी बार उत्तरी पूर्वीसीट से चुनाव जीते हैं। मनोज तिवारी दिल्ली में बड़ा पूर्वांचल चेहरा हैं। उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि इस बार मनोज तिवारी को कैबिनेट में जगह मिलेगी, लेकिन मनोज तिवारी को मंत्री नहीं बनाया गया।सूत्रों के मुताबिक, अभी पार्टी विधानसभा चुनाव पर फोकस कर रही है। ऐसे में मनोज तिवारी ने भी शपथ ग्रहण से पहले झुग्गी में रात बिताकर अपने इरादे जता दिए हैं। वह दिल्ली में विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं।
बीजेपी की अटल सरकार और मोदी सरकार दोनों में मंत्री रहे विजय गोयल इस बार मंत्रियों की लिस्ट में नहीं हैं। वह राज्यसभा सांसद हैं। मोदी के पहले मंत्रिमंडल में भी विजय गोयल को बाद में शामिल किया गया। लोकसभा चुनावों के दौरान विजय गोयल ने राजधानी में व्यापारियों का बड़ा सम्मेलन आयोजित कर अपनी ताकत दिखाई थी। गोयल ने लोकसभा चुनाव में रणनीति बनाने और दूसरे दलों के नेताओं को भाजपा में लाने में अहम भूमिका निभाई। वह लोकसभा चुनावों के मुख्य रणनीतिकारों में शामिल रहे। गोयल ने दिल्ली में ढोल अभियान और पद यात्रा कर आम आदमी पार्टी को घेरने का प्रयास किया। दिल्ली की सियासत में विजय गोयल के कद को देखते हुए उनके समर्थक भी मंत्री पद मिलने की आस में थे।
सूत्रों का कहना है कि विजय गोयल को संगठन के काम में लगाया जाएगा। विजय गोयल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हें दिल्ली की राजनीति का लंबा अनुभव है। ऐसे में भाजपा विधान सभा चुनावों पर फोकस कर रही है। दिल्ली में 20 वर्ष से भाजपा सत्ता से बाहर है। प्यास और टमाटर के बढ़े रेट के चलते शीला दीक्षित ने भाजपा को हराया था। शीला लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सरकार बना ली।