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चीन में हुए कोविड-19 के विस्फोट के बाद एक बार फिर से भारतीयों की अपील- “बैन टिक टॉक”

आम सभा, भोपाल : चीन से हुए कोरोना वायरस के विस्फोट ने दुनिया के 10 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया है। दुनिया भर के व्यापार अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वैश्विक अर्थव्यवस्था को अरबों डॉलर की चपत लग रही है। दुनिया भर के शेयर बाजार ताश के पत्तों की तरह बिखर गए हैं। ऑटोमोबाइल, ऐविएशन, रिटेल, ईकॉमर्स, पर्यटन आदि कितने ही उद्योगों पर कोविड-19 महामारी के कारण भारी चोट पड़ी है। भारत भी इस आर्थिक संकट से अछूता नहीं है। सभी बड़े औद्योगिक उत्पादन रुक गए हैं और देश में लगभग 2 करोड़ नौकरियों का नुकसान हुआ है।

भारत और पूरी दुनिया इस वायरस का दंश भुगतने को मजबूर है जिसे अब ‘चाइनीज़ वायरस’ कहा जा रहा है। भारत में चीन के खिलाफ भावनाएं उभर रही हैं और इसके साथ ही भारत सरकार से ‘टिक टॉक’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी उठने लगी है। भारत में 10 घंटों से भी कम वक्त में टिक टॉक को बैन करने के 10,000 ट्वीट्स किए जा चुके हैं, जो शुक्रवार सुबह से ट्रैंड कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश निवासी दुर्गेश सिंह #BanTikTokInIndia की सख्त जरूरत महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, “जहां भी मुमकिन हो हम चीनी उत्पाद के इस्तेमाल से परहेज करते हैं। यह हमारा प्रतिकार करने का तरीका है क्योंकि उनकी वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था घुटनों पर आ गई है और करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं।“

भारत में टिक टॉक को बैन करने के बारे में सामाजिक कार्यकर्ता तथा मध्य प्रदेश में बैंक ऑफ बड़ौदा से प्रबंधक के तौर पर सेवानिवृत्त श्री किशोर शुक्ला ने कहा, “मैं टिक टॉक ऐप का कड़ा विरोध करता हूं। इसके जरिए चीनीयों को हमारी जनता की निजी सूचना तक पहुंच प्राप्त हो रही है, अगर हम इस ऐप का उपयोग करते रहे तो हमारा बहुत नुकसान हो सकता है।“

बहुत से लोगों को उपहास की सही समझ नहीं होती और वे टिक टॉक को इस्तेमाल करते हुए गलत किस्म का हास्य उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे हैं जैसे किसी की शारीरिक रंगत के लिए उसे लज्जित करना, असभ्य चुटकुले बनाना और इस सब से वे वक्त की बर्बादी कर रहे हैं। टिक टॉक कोई सृजनात्मक चीज़ नहीं है, यह न केवल हमारे नौजवानों का समय एवं कौशल नष्ट कर रहा है बल्कि उनके मानस पर भी दुष्प्रभाव डाल रहा है, यह कहना है श्री अविनाश शर्मा का जो ग्वालियर में ह्यूमन ऑर्गेनिक्स नामक एक फार्मा कंपनी के बिजनेस हैड हैं और एक 8 वर्षीय बालक तथा एक इंजीनियरिंग विद्यार्थी के पिता हैं।

12 मार्च को अमेरिका में रिपब्लिकन सीनेटर जॉश हावले ने सीनेट में एक बिल पेश किया कि सभी फेडरल सरकारी उपकरणों पर चीनी सोशल मीडिया ऐप टिक टॉक को डाउनलोड व इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाया जाए क्योंकि यह अमेरिकी सरकार की डाटा सुरक्षा पर एक जोखिम हो सकता है। उनका वीडियो फेसबुक पर ट्रैंड कर रहा है, उसे 13 लाख लोगों द्वारा देखा और 1,40,000 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है।

अतीत में भी टिक टॉक को भारतीयों के गुस्से का सामना करना पड़ा है क्योंकि टिक टॉक वीडियो बनाने के चक्कर में हजारों लोगों की दुर्घटना में मौत हो चुकी है। यह प्लैटफॉर्म कई विवादों के लिए भी बदनाम रहा है जैसे नफरत भरे भाषणों को समर्थन, झूठी खबरें फैलाना, साम्प्रदायिक हिंसा, डाटा सुरक्षा में सेंध आदि।

पिछले वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच ने भी चीनी सोशल मीडिया ऐप टिक टॉक और हेलो पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था ताकि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और स्टार्टअप ईकोसिस्टम की रक्षा की जा सके। प्रधानमंत्री को भेजे गए एक पत्र में स्वदेशी जागरण मंच ने लिखा था, “मीडिया में विदेशी निवेश को लेकर हमारे कड़े नियम हैं लेकिन ये ऐप सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म की आड़ में हमारे देश के उन नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्थापित किए गए हैं।“ स्वदेशी जागरण मंच का दावा है कि चीन के बाइट डांस के मालिकाना हक वाले ऐप्लीकेशंस भारतीय युवाओं को कम उम्र में गुमराह कर रहे हैं।

नवंबर 2019 में हीना दरवेश ने मुंबई हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी जिसमें कहा गया था कि यह ऐप अपराधों और मौतों का कारण बन रहा है। गौरतलब है कि टिक टॉक पर पिछले साल मद्रास हाई कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया था जिसे बाद में हटा लिया गया।

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