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आतंकी हाफिज के पैसों से खरीदा गया था गुरुग्राम में विला, जानिए फिर कैसे हुआ खुलासा?

नई दिल्ली। 

प्रवर्तन निदेशालय आतंकियों को फंडिग के खिलाफ कार्रवाई तेज करते हुए लश्कर-ए- तैयबा से जुड़े कश्मीरी व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली की गुरुग्राम में तकरीबन एक करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त किया है।

ईडी के वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो यह कार्रवाई धनशोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की गई है। हाफिज सईद 2008 के मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है। वहीं ईडी के सूत्रों के मुताबिक, गुुरुग्राम में यह विला सईद के फाइनेंसर कश्मीरी व्यापारी जहुर अहमद शाह वटाली ने खरीदा था। पिछले साल ही वटाली को एनआइए ने आतंकी संगठनों को फंडिंग करने के मामले में दबोचा था।

बता दें कि जहूर अहमद शाह वटाली पर आरोप है कि वह लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद के बैंकर और फाइनेंसर है। ईडी के मुताबिक, कश्मीरी व्यवसायी जहूर अहमद वटाली की यह संपत्ति गुरुग्राम में है। बाजार मूल्य के हिसाब से इसकी कीमत एक करोड़ तीन लाख रुपये बताई जा रही है।

गौरतलब है कि लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद के खिलाफ अपनी जांच के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक आरोप पत्र दाखिल किया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) ने 2017 में आतंकियों को मदद देने के आरोप में वटाली समेत 18 के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस मामले की एनआइए जांच अब भी जारी है।

बताया जा रहा है कि लश्कर-ए-तैयबा मुखिया हाफिज सईद के पैसों से करोड़ों रुपये में गुरुग्राम में खरीदे गए विला को प्रवर्तन निदेशालय ने कुर्क कर लिया है।

ईडी सूत्रों की मानें तो यह विला फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन के पैसों से खरीदा गया था, जिसे सईद पाकिस्तान में चलाता है। यह भी बताया जा रहा है कि विला खरीदने के लिए यह पैसा संयुक्त अरब अमीरात से हवाला के जरिए भारत पहुंचा था। इस पैसों का मकसद आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना भी था।

गुरुग्राम के विला का टेरर फंडिंग से रिश्ता
ईडी ने डीएलएफ फेस टू स्थित जिस विला की पहली मंजिल को अटैच किया उसकी दूसरी व तीसरी मंजिल किसी और के नाम है। प्रथम मंजिल सर्वा जहूर के नाम है। जो जहूर अहमद की पत्नी या संबंधी हो सकती है। पहली मंजिल में वाटली की नेम प्लेट भी लगी है। अभी भी पहली मंजिल में कश्मीरी परिवार रह रहा जो मीडिया को देखते ही अंदर चला गया। बताया जा रहा है कि जहूर गुरुग्राम के डीएलएफ फेस-2 में एल-25/4 अपने परिवार के साथ रहता था। एनआइए की टीम लगातार इस मामले में जहूर की जांच में जुटी है। वहीं ये सूचना मिली थी कि जहूर वाटनी का लश्कर ए तैयबा जैसे आंतकी संगठनों के साथ संबंध हैं। हाफिज सईद, हिजबुल मुजाहिद्दीन औऱ सैयद सलउद्दीन जैसे आंतकियों के साथ वाटनी के संबंध बताये जाते हैं।

  • मुंबई आतंकी हमले का मास्‍टरमाइंड है हाफिज मोहम्मद सईद
  • हमेशा कश्‍मीर में जेहाद और भारत के खिलाफ आग उगलता रहता है
  • इसके ऊपर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है, लेकिन वह पाकिस्‍तान में बेखौफ घूम रहा है।
  • आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक और वर्तमान में जमात-उद-दावा का सरगना हाफिज सईद का जन्‍म पाकिस्‍तान के पंजाब प्रांत के सरगोधा में 10 मार्च 1950 को हुआ था।
  • वह भारत की सर्वाधिक वांछित अपराधियों की सूची में शामिल है।
  • मुंबई की 26/11 हमले में उसका हाथ होने की बात सामने आई थी जिसमें छह अमेरिकी नागरिक समेत 166 लोग मारे गए थे। भारत तब से पाकिस्तान से लगातार उसे सौंपने को कहता रहा है।
  • अमेरिका ने दुनिया में ‘आंतकवाद के लिए जिम्मेदार’ लोगों की सूची जारी की है उसमें हाफिज सईद का भी नाम है। उस पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है।
  • मजे की बात यह है कि वह आजादी से पाकिस्तान में घूम रहा है और सार्वजानिक तौर पर सभाओं को संबोधित कर रहा है।
  • सईद अरबी और इंजीनियरिंग का पूर्व प्राध्यापक रहा है। वह जमात-उद-दावा का संस्थापक है। यह एक चरमपंथी इस्लामी संगठन है जिसका मकसद भारत के कुछ हिस्सों और पाकिस्तान में इस्लामी शासन स्थापित करना है। हाफिज ने यह संगठन तब बनाया था ज‍ब पाकिस्‍तान में लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
  • मुंबई आतंकी हमलों में उसकी भूमिका को लेकर भारत ने सईद के खिलाफ इंटरपोल रेड कार्नर नोटिस जारी कर रखा है, वहीं अमेरिका ने उसे विशेष निगरानी सूची में रखा है।

बता दें कि 11 सितंबर 2001 में अमेरिका पर हुए हमलों के बाद लश्कर-ए-तैयबा पर दुनिया की नजरें टिकीं और अमेरिका ने लश्‍कर को विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया था। वर्ष 2002 में पाकिस्तानी सरकार ने भी लश्कर पर प्रतिबंध लगा दिया। उसके बाद हाफिज सईद ने लश्कर-ए-तैयबा का नया नाम जमात-उद-दावा रखा, हालांकि हाफिज सईद इस बात से इनकार करता है कि जमात-उद-दावा का लश्कर से कोई संबंध है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुंबई आतंकी हमलों के तुरंत बाद दिसंबर 2008 में जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन घोषित किया था। मुंबई हमलों के बाद सईद को अंतरराष्ट्रीय दबाव को देखते हुए छह महीने से कम समय तक नजरबंद रखा गया था। लाहौर हाई कोर्ट के आदेश के बाद उसे 2009 में रिहा कर दिया गया था।

पाकिस्तान में भी जमात-उद-दावा पर प्रतिबंध है लेकिन वह जिहाद के लिए पैसा जुटाता है, उसका प्रमुख हाफिज सईद खुलेआम जिहाद के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी करता रहता है।

हाफिज सईद ने अफगानिस्तान में जिहाद का प्रचार करने और लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए 1985 में जमात-उद-दावा-वल-इरशाद की स्थापना की और लश्कर-ए-तैयबा उसकी शाखा बनी। 1990 के बाद जब सोवियत सैनिक अफगानिस्तान से निकल गए तो हाफिज सईद ने अपने मिशन को कश्मीर की तरफ मोड़ दिया। कश्मीर में आतंकी कार्रवाइयां करने वाला सबसे बड़ा पाकिस्तानी संगठन लश्कर-ए-तैयबा है, लश्कर और आइएसआइ के रिश्तों के सुराग अनेक बार मिल चुके हैं।

भारत सरकार 2003, 2005 और 2008 में हुए आतंकी हमलों के लिए लश्कर-ए-तैयबा को जिम्मेदारी मानती है। भारतीय संसद पर हमले की कड़ी भी इसी गुट से जुड़ती है।

 

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