हैदराबाद
लोकसभा चुनाव में 17 में से तीन सीटें जीतकर तेलंगाना में वापसी की कोशिशों में लगी कांग्रेस पार्टी को गुरुवार को तगड़ा झटका लगा। राज्य में पार्टी के 12 विधायकों ने तेलंगाना राष्ट्र समिति का दामन थाम लिया। इन बागी विधायकों के अनुरोध पर तेलंगाना विधानसभा के अध्यक्ष पी. श्रीनिवास ने उनके टीआरएस में विलय को अनुमति दे दी। दरअसल, टीआरएस ने कांग्रेस को तोड़ने की रणनीति पर विधानसभा चुनाव के बाद से ही काम करना शुरू कर दिया था लेकिन कांग्रेस पार्टी इसे भांप नहीं पाई। नई परिस्थिति में संख्या बल के लिहाज से ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।
सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद भी टीआरएस नेतृत्व खुश नहीं था। इसके बाद पार्टी के रणनीतिकारों ने पर्दे के पीछे से ‘मिशन कांग्रेस’ पर काम करना शुरू किया। टीआरएस की रणनीति थी कि 18 सीटें जीतने वाली कांग्रेस पार्टी को विधानसभा से सफाया करना। चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से जब मीडिया ने सवाल किया कि क्या टीआरएस नहीं चाहती कि विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व रहे? इस पर केसीआर ने जवाब दिया, ‘यह कैसे हो सकता है?’
केसीआर से पूछे गए इस सवाल का जवाब गुरुवार को मिला। केसीआर की टीम ने वह कर दिखाया जिसे असंभव माना जा रहा था। कांग्रेस के 18 में से 12 विधायक टीआरएस में शामिल हो गए। कांग्रेस को कुल मिली 19 सीटों में से एक सीट खाली चल रही है। हुजूरनगर से कांग्रेस विधायक रहे उत्तम कुमार रेड्डी नलगोंडा से सांसद बन गए हैं और उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है।
टीआरएस को किसी अन्य दल की जरूरत नहीं
तेलंगाना की 119 सदस्यीय विधानसभा में सरकार चलाने के लिए टीआरएस को किसी अन्य दल की जरूरत नहीं है और किसी अन्य दल के पास इतनी संख्या नहीं है कि वह उसे हटा सके। इसके बाद भी कांग्रेस विधायक सामने आए और उन्होंने घोषणा की कि यदि जरूरी हुआ तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे और दोबारा चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद टीआरएस पर कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने का आरोप लगने लगा।
उधर, टीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने पिछले दिनों कहा, ‘इसमें सच्चाई नहीं है कि टीआरएस कांग्रेस विधायकों को अपने साथ आने के लिए कह रही है। वे (कांग्रेस विधायक) खुद ही पार्टी में शामिल होना चाहते थे।’ कांग्रेस विधायकों ने पार्टी छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि उनके लिए अपने क्षेत्र का विकास ज्यादा महत्वपूर्ण है और इसलिए सत्तारूढ़ पार्टी के साथ रहना फायदेमंद है।
औवेसी की पार्टी दूसरे नंबर पर पहुंची
कांग्रेस के 12 विधायकों के पाला बदलने के बाद अब असदुद्दीन की पार्टी एमआईएमआईएम सात विधायकों के साथ विधानसभा में दूसरे नंबर पर पहुंच गई है। कांग्रेस के अब मात्र छह विधायक ही बचे हैं। माना जा रहा है कि आधिकारिक नोटिफिकेशन के बाद टीआरएस विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध करेगी कि कांग्रेस पार्टी के विधायक मल्लू भट्टी विक्रमार्का को नेता विरोधी दल के पद से हटाया जाए। 1958 के बाद ऐसा पहली बार है जब विधानसभा में एमआईएमआईएम दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है।