Saturday , April 19 2025
ताज़ा खबर
होम / देश / सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों से मध्यस्थता के लिये मांगे संभावित नाम

सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों से मध्यस्थता के लिये मांगे संभावित नाम

अयोध्या भूमि विवाद

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उसकी मंशा अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजने के बारे में शीघ्र ही आदेश देने की है। न्यायालय ने संबंधित पक्षकारों से कहा है कि वे इस विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिये संभावित मध्यस्थों के नाम उपलब्ध करायें।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने संबंधित पक्षकारों से कहा कि वे आज ही संभावित नाम उपलब्ध करायें। पीठ ने कहा कि इस भूमि विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजने या नहीं भेजने के बारे में इसके बाद ही आदेश दिया जायेगा।

निर्मोही अखाड़े के अलावा अन्य हिन्दू संगठनों ने इस मामले को मध्यस्थता के लिये भेजने के न्यायालय के सुझाव का विरोध किया जबकि मुस्लिम संगठनों ने सुझाव का समर्थन किया। उप्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि न्यायालय यह मामला उसी स्थिति में मध्यस्थता के लिये भेजना चाहिए जब इसके समाधान की कोई संभावना हो। उन्होंने कहा कि इस विवाद के स्वरूप को देखते हुये मध्यस्थता का मार्ग चुनना उचित नहीं होगा।

राम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने पीठ से कहा कि पहले भी कई प्रयासों के बावजूद मध्यस्थता का कोई नतीजा नहीं निकला था। वैद्यनाथन ने कहा कि इस बारे में कोई विवाद नहीं है कि रामलला का जन्म अयोध्या में ही हुआ था लेकिन विवाद राम जन्म स्थान को लेकर है।

उन्होंने कहा कि जन्म स्थान के मुद्दे पर मध्यस्थता नहीं हो सकती है। दूसरी ओर, मुस्लिम संगठनों ने मध्यस्थता के बारे में न्यायालय के सुझाव का समर्थन किया और कहा कि ऐसा बंद कमरे में ही होना चाहिए और इसकी अंतिम रिपोर्ट मिलने तक किसी को भी इसकी कार्यवाही की जानकारी देने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। इस बीच, भाजपा नेता सुब्रमणियन स्वामी ने शीर्ष अदालत से कहा कि अध्योध्या में विवादित भूमि सरकार की है।

स्वामी ने कहा, ‘‘पी वी नरसिंह राव की सरकार ने 1994 में शीर्ष अदालत को यह आश्वासन दिया था कि यदि यह पता चलता है कि वहां पर मंदिर था तो यह भूमि मंदिर निर्माण के लिये दे दी जायेगी।’’ मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस भूमि विवाद की गंभीरता और मध्यस्थता के नतीजे का देश की राजनीति पर होने वाले असर से वाकिफ है।

संविधान पीठ ने कहा कि यह सिर्फ संपत्ति का विवाद नहीं है बल्कि यह भावनाओं और आस्था के बारे में भी है। पीठ ने कहा कि हमारा इससे कोई सरोकार नहीं है कि मुगल शासक बाबर ने क्या किया और उसके बाद क्या हुआ। हम इस समय जो मौजूद है, उसी पर गौर कर सकते हैं।’’ इससे पहले, फरवरी महीने में शीर्ष अदालत ने सभी पक्षकारों को दशकों पुराने इस विवाद को मैत्रीपूर्ण तरीके से मध्यस्थता के जरिये निपटाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था।

न्यायालय ने कहा था कि इससे ‘‘संबंधों को बेहतर’’बनाने में मदद मिल सकती है। शीर्ष अदालत में अयोध्या प्रकरण में चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 अपील लंबित हैं। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि तीनों पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बांट दी जाये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)

slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor info kabar slot gacor slot gacor slot gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor info kabar Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor slot gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor https://elearning.unka.ac.id/ https://jurnal.unka.ac.id/bo/ https://jurnal.unka.ac.id/rep/ slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor Slot Gacor 2025 Slot Gacor Hari Ini slot gacor slot gacor slot gacor