पटना उच्च न्यायालय ने 2 दिन पहले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को अपना सरकारी बंगला 5, देशरत्न मार्ग खाली करने का फरमान सुनाया. हालांकि उन्होंने अब तक इस बंगले को खाली नहीं किया है. मगर इस फैसले का असर यह हुआ है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर आवंटित 7,सर्कुलर रोड बंगला छोड़ना पड़ा है.
दरअसल, नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के तौर पर 1, अणे मार्ग बंगला आवंटित है जो कि बिहार के मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास भी है. साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार के पास 7, सर्कुलर रोड बंगला भी उनके नाम पर है जहां पर फिलहाल वो रहते हैं. मुख्यमंत्री आवास में नहीं रहने की वजह यह है कि वहां पर फिलहाल रिट्रोफिटिंग का काम चल रहा है, जिसकी वजह से वह पूर्व मुख्यमंत्री का द्वार पर आवंटित अपने बंगले में रहते हैं.
इसी बीच 7 जनवरी को तेजस्वी यादव के बंगले को लेकर फैसला सुनाते हुए पटना उच्च न्यायालय ने सवाल उठाया कि आखिर बिहार में पूर्व मुख्यमंत्रियों को किस आधार पर आजीवन बंगला आवंटित किया हुआ है जहां वह रहते हैं ? न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि बिहार में बंगला आवंटन की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और एक ही व्यक्ति के नाम पर दो-दो बंगला आवंटित किया हुआ है.
इसी मामले को लेकर अगले दिन यानी 8 जनवरी को न्यायालय ने नीतीश कुमार समेत सभी पूर्व मुख्यमंत्री जिसमें राबड़ी देवी, जीतन राम मांझी, जगन्नाथ मिश्रा और सतीश प्रसाद सिंह शामिल है को नोटिस जारी किया और जवाब तलब किया.
हालांकि, इसी बीच बुधवार को यह बात सामने आई थी न्यायालय की 7 जनवरी को की गई कड़ी टिप्पणी के बाद आनन-फानन में भवन निर्माण विभाग ने एक नोटिफिकेशन जारी किया जिसमें कहा गया कि नीतीश कुमार ने 7, सर्कुलर रोड बंगला छोड़ दिया है और यह बंगला अब मुख्य सचिव दीपक कुमार के नाम पर आवंटित कर दिया गया.
नीतीश कुमार के द्वारा 7, सर्कुलर रोड बंगला छोड़ने को लेकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि क्योंकि पटना उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित बंगले का संज्ञान ले लिया इसी लिए आनन-फानन में नीतीश कुमार ने यह बंगला मुख्य सचिव के नाम पर आवंटित करवा दिया. तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव के नाम पर इस बंगले का आवंटन बैक डेट में यानी कि 7 जनवरी को दिखाया था कि न्यायालय की आंख में धूल झोंक सके.