लखनऊ
डीआरडीओ के इंजिनियर निशांत अग्रवाल को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया है। उसके पास से ब्रह्मोस मिसाइल और उसमें इस्तेमाल किए जाने वाले वेपन के डिजाइन बरामद हुए हैं। आरोप है कि उसने ब्रह्मोस मिसाइल प्रॉजेक्ट से जुड़ी कई जानकारियां पाकिस्तान और अमेरिका की खुफिया एजेंसियों से साझा की हैं। इस जानकारी के सामने आने के बाद सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के होश उड़े हुए हैं। एजेंसियों को डर है कि अगर ये डिजाइन पाकिस्तान को भेज गए हैं तो यह देश की सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा है।
सूत्रों के मुताबिक, यह निशांत अग्रवाल के निजी कंप्यूटर से बड़ी संख्या में मिसाइल और वेपन के डिजाइन मिले हैं। नागपुर यूनिट के लोगों को जब यह पता चला तो उन्होंने यूपी और महाराष्ट्र एटीएस के अधिकारियों को बताया कि निशांत को इन डिजाइन को घर के पर्सनल कंप्यूटर में रखना तो बहुत दूर ऑफिस में भी रखने का अधिकार नहीं है। इसके बावजूद ये डिजाइन उसके पास होना खतरे की निशानी है। अब यूपी एटीएस इस बात की पड़ताल कर रही है कि निशांत ने ये डिजाइन पाकिस्तान भेजे हैं या नहीं।
दो माह पहले हुई थी शादी
एटीएस की पड़ताल में सामने आया है कि करीब दो माह पहले ही निशांत की शादी हुई है। एटीएस पिछले दो साल के दौरान निशांत व उसके करीबियों के बैंक खातों की डिटेल निकलवा रही है। इनके खातों में हुए सभी संदिग्ध ट्रांजेक्शन की जांच होगी।
एफएसएल भेजे जाएंगे लैपटॉप
यूपी एटीएस आगरा और कानपुर में वैज्ञानिकों के पास से बरामद उनके लैपटॉप को फरेंसिक जांच के लिए एफएसएल के पास भेजेंगे। एटीएस के अधिकारी इन लैपटॉप से डिलीट किए गए डाटा के रिट्रीव करने की कोशिश कर रहे हैं।
घंटों हुई महिला वैज्ञानिक से पूछताछ
केंद्र सरकार के एक रिसर्च संस्थान से जुड़ी महिला वैज्ञानिक से सोमवार सुबह एटीएस ने पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक, एटीएस अफसरों ने फेसबुक से मिले क्लू के आधार पर वैज्ञानिक के घर पर सुबह करीब 9 बजे धावा बोला। घंटों हिरासत में रखकर उनसे लंबी पूछताछ की गई। लैपटॉप भी खंगाला गया, लेकिन इसमें कुछ भी ऐसी सामग्री नहीं मिली, जिसे कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किए जा सके। दोपहर तक जारी पूछताछ के बाद कुछ अधिकारी लौट गए।
खासी जिम्मेदारी थी निशांत के पास:
- 31 जुलाई 2013 से ब्रह्मोस मिसाइल अनुसंधान केंद्र के तकनीकी डिविजन में काम कर रहा था।
- वह हाइड्रोलिक्स न्यूमैटिक्स एंड वॉरहेड इंट्रीगेशन (प्रॉडक्शन) का प्रमुख है। उसके नेतृत्व में 40 लोगों की टीम काम कर रही थी।
- उसके जिम्मे ब्रह्मोस नागपुर के अलावा पिलानी प्रॉजेक्ट का सुपरविजन भी था। ब्रह्मोस भारत-रूस का जॉइंट वेंचर है।