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अभी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत से राहत की उम्मीद नहीं, जानें क्यों रोजाना बढ़ रहे है दाम

पिछले छह दिन से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि जारी है। इन छह दिनों में पेट्रोल प्रति लीटर 3.31 रुपये और डीजल 3.42 रुपये तक महंगा हो चुका है। राजधानी नई दिल्ली में जहां पेट्रोल की कीमत 74.54 रुपये तो वहीं डीजल की कीमत 72.81 रुपये प्रति लीटर हो चुकी है। अगर बात देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की करें तो शुक्रवार को यहां पेट्रोल 81.53 रुपये और डीजल 71.48 रुपये लीटर तक पहुंच गया। अब दुनिया में धीरे-धीरे कारोबार के लिए खुलने के साथ तेल की कीमतें भी बढ़ रही हैं।पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में भारतीय बास्केट में क्रूड 19.90 डॉलर प्रति बैरल था वहीं 9 जून को इसकी कीमत 40.54 डॉलर प्रति बैरल थी। यानी अब रेट करीब दोगुना हो गया है।

कच्चे तेज के लिए भारतीय कंपिनयों को डॉलर में भुगतान करना पड़ता है। इधर डॉलर के मुकाबले रुपया के कमजोर होने से एक्सचेंज रेट भी बढ़ गया है। बता दें कच्चे तेल की कीमत में एक डॉलर की वृद्धि से भारत का आयात बिल 2,936 करोड़ रुपये अधिक होता है। इसी तरह डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में एक रुपये प्रति डॉलर का बदलाव आने से भारत के आयात बिल पर 2,729 करोड़ रुपये का अंतर पड़ता है। यही वजह है कि भारत में तेल के खुदरा दाम बढ़ रहे हैं।

बता दें पिछले महीने कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद पेट्रोल-डीजल के रेट कम नहीं हुए। दरअसल लॉकडाउन की वजह से अप्रैल में पूरी दुनिया में कच्चे तेल की मांग लभगभग समाप्त हो गई थी। अप्रैल में ब्रेंट क्रूड 21 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया और तेल वायदा पहली बार नकारात्मक स्तर तक पहुंच गया। अगर वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में और मजबूती आती है तो पेट्रोल और डीजल की कीमतें और बढ़ सकती हैं।

अभी कई दिन बढ़ सकते हैं दाम

अनलॉक 1.0 से पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां कह चुकी थीं कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 4 से 5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की जाएगी। कंपनियों का कहना था कि पेट्रोल-डीजल में लागत और बिक्री का अंतर पहले ही 4-5 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है। ऐसे में वैश्विक कीमतों को देखते हुए घाटे को पूरा करने के लिए लगातार दो सप्ताह तक 40-50 पैसा प्रतिदिन दाम बढ़ाना पड़ेगा। दरअसल सरकारी तेल विपणन कंपनी (ओएमसी) के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पिछले सप्ताह सभी खुदरा तेल विक्रेताओं ने बैठक की। इसमें मौजूदा स्थिति का आकलन किया गया और लॉकडाउन के बाद कीमतों में रोजाना बदलाव की व्यवस्था शुरू करने पर बात बनी।

यह भी पढ़ें:…तो 33 रुपये लीटर मिलता पेट्रोल और डीजल 35 रुपये, राज्य सरकारों का टैक्स बढ़ाना जरूरी या मजबूरी?

अनलॉक भारत में सड़कों पर वाहन निकले तो फ्यूल की मांग में इजाफा हुआ। लॉकडाउन के दौरान नागालैंड, कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, पश्चिम बंगाल, और असम और ओडिशा में पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ाया गया था, जिससे इन राज्यों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ गई हैं। मिजोरम सरकार ने 1 जून से राज्य में पेट्रोल पर 2.5 फीसद और डीजल पर 5 फीसद की दर से वैट बढ़ा दिया। वहीं जम्मू-कश्मीर में भी पेट्रोल पर टैक्स दो रुपये और डीजल पर एक रुपये लीटर की वृद्धि की गई है।

भारत दुनिया में पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाला देश

पिछले दिनों केद्र सरकार ने पेट्रोल पर प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी में 10 रुपये की और डीजल पर 13 रुपये की बढ़ोतरी की थी। इसके बाद भारत दुनिया में पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों पर सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाला देश बना गया। अब पंप मिलने वाले पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़कर 69 फीसदी हो गया है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। भारत के अलावा सिर्फ फ्रांस, जर्मनी, इटली और ब्रिटेन में ही ईंधन पर टैक्स 60 फीसदी से ज्यादा है। भारत में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 32.98 रुपये प्रति लीटर है, जबकि डीजल पर यह 31.83 रुपये प्रति लीटर। अप्रैल 2014 से पेट्रोल पर ड्यूटी में 248 प्रतिशत की वृद्धि और डीजल में 794 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है।

पेट्रोल-डीजल के खुदरा दाम पर किस देश में कितना टैक्स

देश टैक्स % में
भारत 69.3
फ्रांस एवं जर्मनी 63
इटली 64
ब्रिटेन 62
स्पेन 53
जापान 47
कनाडा 33
अमेरिका 19

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