नई दिल्ली :
लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ने के साथ-साथ नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज होती जा रही है और वे अपनी आलोचना में प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ख्याल भी नहीं रख रहे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता माजिद मेमन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने पीएम को ‘अनपढ़ और जाहिल’ कहा। राजनीति में भाषा की मर्यादा कितने नीचे गिरती जा रही है मेनन का बयान उसे दर्शाने के लिए काफी है। मेमन ने कहा कि जनता सीधे प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं करती।
माजिद ने कहा, ‘मुझ लगता है कि प्रधानमंत्री भी एक अनपढ़, जाहिल या रास्ते पर चलने वाले आदमी की तरह बात करते हैं। वो इतने बड़े पद पर बैठे हैं, उनका पद एक संवैधानिक पद है। उस संवैधानिक पद के लिए प्रधानमंत्री रास्ते में नहीं चुना जाता।’ मेनन ने कहा कि यहां जनता प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं करती बल्कि जनता द्वारा चुने गए सांसद पीएम का चुनाव करते हैं। इस बार भी सबसे बड़ा दल अपना प्रधानमंत्री चुनेगा।
राजनीतिज्ञों से अच्छे आचरण की उम्मीद की जाती है। चाहे वह भाषा हो या उनका व्यवहार। जनता नेताओं को एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में देखती है और उनका अनुसरण करती है। लेकिन हाल के दिनों में विरोधी नेताओं पर हमला बोलते समय माननीय भाषा की गरिमा भूलते जा रहे हैं। उन्होंने आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। मेनन का बयान उन्हीं बयानों में से एक है। लोकसभा चुनावों की सरगर्मी तेज हो गई है, ऐसे में नेता एक-दूसरे पर तीखे हमले भी जारी रखेंगे लेकिन उन्हें भाषा की मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए।