Saturday , July 27 2024
ताज़ा खबर
होम / देश / नेशनल हेराल्ड केस: हेराल्ड हाउस खाली कराने पर कोर्ट ने लगाई रोक

नेशनल हेराल्ड केस: हेराल्ड हाउस खाली कराने पर कोर्ट ने लगाई रोक

नई दिल्ली

नेशनल हेराल्ड केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को एक बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने हेराल्ड हाउस को खाली कराने पर अभी रोक लगा दी. दिल्ली हाईकोर्ट ने हेराल्ड बिल्डिंग खाली कराने के नोटिस पर फिलहाल सीलिंग कार्रवाई न करने के निर्देश देते हुए यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी. एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने यह आदेश जारी किया है. बता दें, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को 15 नवंबर तक बिल्डिंग खाली करने का नोटिस जारी किया गया था.

शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को नेशनल हेराल्ड हेडक्वार्टर 15 नवम्बर तक खाली करने का नोटिस जारी किया गया था. मंत्रालय के इस आदेश को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने कोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की. नेशनल हेराल्ड की पब्लिशिंग कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड है.

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया, ‘आरोप लगाया गया है कि हम इस इमारत से अखबार नहीं चला रहे हैं. इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि हम इमारत का दुरुपयोग कर रहे हैं.’

सिंघवी ने कहा, ‘साल 2016 में हमें पहली बार मंत्रालय की ओर से नोटिस मिला. उसके बाद दो साल तक वे चुप रहे. अब फिर हमें नोटिस भेजा गया है. साल 2016 में नोटिस में कहा गया था कि आप अखबार नहीं चला रहे हैं. लेकिन हम आपको बता दें कि हम लगातार उस इमारत से पेपर चला रहे हैं. साल 2016 में ऑनलाइन एडिशन शुरू किया गया. इंग्लिश, उर्दू प्रेस का काम उस इमारत में चल रहा था. उन्होंने कहा कि पब्लिश नहीं हो रहा है. लेकिन प्रेस के लोग वहां काम कर रहे थे. मंत्रालय ने इमारत का मुआयना भी किया. 24 सितंबर 2017 को नेशनल हेराल्ड दोबारा से शुरू हुआ.’

इस पर जज ने पूछा, ‘ क्या सभी हिंदी, उर्दू पब्लिकेशन नेशनल हेराल्ड के हैं?’ इस पर सिंघवी ने कहा, ‘ये सब नेशनल हेराल्ड के बैनर तले चलते हैं. इन सबका हमारे पास लाइसेंस है. हम प्रिंटिंग आउटसोर्स करते हैं. मंत्रालय ने कहा कि हम इस इमारत में प्रकाशित नहीं करते. लेकिन आज कल सब कुछ बदल गया है. सभी इंटरनेट पर पढ़ते हैं. बीच में कुछ साल पेपर बंद था, क्योंकि हमारे पास आर्थिक तंगी थी.’ इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता 22 नवंबर को अपनी दलीलें कोर्ट में रखेंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)