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शिवपाल के मंच पर मुलायम सिंह यादव, क्या 2019 में अखिलेश यादव को लग सकता है झटका?

नई दिल्ली : 

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए प्रस्तावित महागठबंधन में अहम भूमिका निभाने का मंसूबा पाले सपा नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बड़ा झटका लग सकता है. यह झटका कोई और नहीं बल्कि उनके ‘अपने’ ही देने की तैयारी में है. चाचा शिवपाल यादव द्वारा अलग राजनीतिक पार्टी के गठन के बाद अब पिता मुलायम सिंह यादव भी अखिलेश से दूर होते दिखाई दे रहे हैं. रविवार को लखनऊ में आयोजित शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की रैली में मुलायम सिंह यादव उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े दिखाई दिये. मुलायम के गले में शिवपाल की पार्टी का पटका भी दिखा. इसके बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है और सियासी चर्चाओं का माहौल गर्म है.

आपको बता दें कि पिछले दिनों सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा-लो) प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि अब कोई उनका साथ दे या न दे, फर्क नहीं पड़ता. शिवपाल ने मुलायम सिंह यादव के साथ देने से हिचकने के सवाल पर कहा, ‘‘कौन हमारे साथ है, कौन नहीं है, इसकी मुझे अब कोई चिंता नहीं है.‘‘ इस सवाल पर कि वह हमेशा मुलायम का आशीर्वाद प्राप्त होने का दावा करते हैं, मगर क्या कारण है कि सपा संस्थापक उनकी बजाय अपने बेटे अखिलेश यादव के साथ दिखायी देते हैं, शिवपाल ने कहा ‘‘मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं और मैं अब जानकारी करना भी नहीं चाहता.”

शिवपाल ने तब कहा था कि ‘‘अब हमारे सामने देश और समाज के बहुत से मुद्दे हैं. उन्हीं मुद्दों के कारण हमने कल जनाक्रोश रैली बुलायी है. हम जनता के मुद्दों को लेकर आगे बढ़ेंगे.” उसके बाद आज लखनऊ की रैली में मुलायम सिंह यादव के पहुंचने से यह साफ हो गया है कि वे भाई शिवपाल सिंह यादव के साथ खड़े हैं. इससे पहले लखनऊ की रैली को लेकर शिवपाल ने कहा कि वर्तमान समय में जनता में सरकार के खिलाफ, महंगाई के खिलाफ, बेरोजगारी के खिलाफ जो आक्रोश है, यह रैली उस पर है. वर्तमान बदलते संदर्भ में गांव, देश व समाज के हालात बदल गए हैं. तीन दशक पहले जो चुनौतियां थीं, तब और अब के हालात में बहुत बदलाव आया है. ऐसे में सामाजिक न्याय की लड़ाई को नए संदर्भ में देखना होगा.

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