Saturday , July 27 2024
ताज़ा खबर
होम / देश / मोदी के सबसे भरोसेमंद जगदीश ठक्कर का निधन

मोदी के सबसे भरोसेमंद जगदीश ठक्कर का निधन

मोदी और ठक्कर का लंबा साथ

ठक्कर लंबे वक़्त से नरेंद्र मोदी के साथ काम कर रहे थे. जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री दफ़्तर में थे और बाद में साल 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर वो पीएमओ चले आए.

लगभग तीन दशक तक ठक्कर ने गुजरात के क़रीब 10 मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया.

पीएम मोदी ने ठक्कर को याद करते हुए एक और ट्वीट किया है. मोदी ने ट्वीट में लिखा है, ”पिछले कई सालों से बहुत से पत्रकार जगदीश भाई के संपर्क में आए होंगे. उन्होंने गुजरात के बहुत से मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया. हमने एक बेहतरीन इंसान को खो दिया, जो अपने काम से प्यार करते थे और उसे पूरी लगन से करते थे. उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं.”

10 मुख्यमंत्रियों के साथ किया काम

ठक्कर ने साल 1986 में गुजरात में मुख्यमंत्री दफ़्तर के जनसंपर्क अधिकारी का काम संभाला. अपने काम के चलते वे सीएमओ के सबसे भरोसेमंद व्यक्ति के रूप में पहचाने जाने लगे.

ठक्कर को जानने वाले लोग उन्हें मृदुभाषी और एक सज्जन पुरुष के रूप में याद करते हैं. क़रीब 6 फ़ुट लंबे ठक्कर जब कभी पत्रकारों से रूबरू होते तो उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती.

मीडिया से रोजाना इस्तेकबाल होने के बावजूद ठक्कर ख़ुद को पर्दे के पीछे रखना ही पसंद करते थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत गुजरात के तटीय शहर भावनगर में एक स्थानीय समाचार पत्र के पत्रकार के तौर पर की थी.

साल 1970 में वे गुजरात सरकार में सूचना कार्यालय चले गए. इसके बाद साल 1986 में उनकी पोस्टिंग मुख्यमंत्री के दफ़्तर में हो गई. उस समय गुजरात में कांग्रेस की सरकार थी और अमर सिंह चौधरी मुख्यमंत्री थे.

उन दिनों गुजरात के मुख्यमंत्री केरल से आने वाले अफ़सर को अपने दफ़्तर में ज़्यादा तरजीह देते थे. ऐसा माना जाता था कि केरल के अधिकारी काम के प्रति अधिक निष्ठावान होते हैं.

लेकिन ठक्कर के मुख्यमंत्री दफ़्तर में आने और महत्वपूर्ण पद संभालने के बाद गुजरात के हर एक मुख्यमंत्री उनके काम के कायल हो गए.

अमर सिंह चौधरी के साथ शुरू हुआ ठक्कर का मुख्यमंत्री दफ़्तर में पीआरओ का सिलसिला बाद में माधव सिंह सोलंकी, चिमनभाई पटेल, छबिलभाई मेहता, केशुभाई पटेल, सुरेश भाई मेहता, शंकर सिंह वाघेला, दिलीप पारिख और नरेंद्र मोदी तक चला.

वे गुजरात की मुख्यमंत्री आंदनीबेन पटेल के साथ भी कुछ वक़्त तक रहे और बाद में उन्हें पीएमओ बुला लिया गया.

व्यक्ति नहीं दफ़्तर को तरजीह

गुजरात के सीएमओ को कवर करने वाले पत्रकार लगभग रोजाना ही ठक्कर से मुलाक़ात करते थे. वे उन्हें एक ऐसे शख़्स के तौर पर याद करते हैं जो हमेशा बहुत सम्मान से मिलते थे, वे समाचारों की परख रखते थे और इस संबंध में पत्रकारों की मदद भी करते थे. खासतौर पर मुख्यमंत्री के बयानों से जुड़ी ख़बरों पर.

हालांकि, कुछ पत्रकार मानते हैं कि कई मौक़ों पर ठक्कर चुप रहने की कोशिश भी करते थे, विशेषतौर पर तब जब उन्हें आभास होता था कि पत्रकार किसी बात को सही तरीक़े से नहीं लिख रहे और इससे मुख्यमंत्री को नुक़सान हो सकता है.

इस तरह के मामलों में वे पत्रकार का हौसला नहीं तोड़ते थे, इसके बदले वे उस ख़ास मामले में पत्रकार को एक व्यापक परिपेक्ष्य देने की कोशिश करते थे.

माना जाता है कि ठक्कर अपने काम और दफ़्तर के प्रति ईमानदार थे. उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता था कि दफ़्तर में मौजूद मुख्यमंत्री किस पार्टी या विचार से है.

वे अपने आस-पास के लोगों से एक तय क़रीबी और उतनी ही उचित दूरी भी बनाकर रखते थे, फिर चाहे वे उनके साथ काम करने वाले सहयोगी हों, पत्रकार हों या खुद मुख्यमंत्री ही क्यों ना हों.

कई अवसरों पर वे मुख्यमंत्रियों से भिन्न मत रखने में भी नहीं कतराते थे.

ज्य और देश के सबसे उच्च पद पर मौजूद शख्स के साथ काम करना और उनके इतना क़रीब होने के बावजूद ठक्कर की शख्सियत में इसका गुरूर कभी देखने को नहीं मिला.

वे हमेशा ही बेहद विनम्र रहे और कभी किसी राजनीतिक पार्टी के प्रति अनपा झुकाव नहीं दिखाया.

ठक्कर के साथ काम करने वाले तमाम लोग उन्हें उनकी निष्पक्षता और बेहतर नज़रिए के लिए हमेशा याद रखेंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)