उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक बेहद ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है. वाणिज्य कर विभाग की टीम ने जांच में एक छोटे से कचौड़ी व्यापारी के 60 लाख सालाना टर्न ओवर होने के मामले का खुलासा किया है. बगैर नाम-पहचान वाले कचौड़ी वाले की जांच करने गई वाणिज्य कर विभाग की टीम के सामने जब हकीकत आई तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं. उसका सालाना का टर्न ओवर एक करोड़ के भी पार हो सकता है. फिलहाल दुकानदार को नोटिस जारी कर दिया गया है.
सीमा टॉकीज के पास है कचौड़ी दुकान
अलीगढ़ में सीमा टॉकीज के समीप एक छोटी सी कचौड़ी की दुकान है, जिसमें मुकेश पिछले 10-12 सालों से कचौड़ी बेचते हैं. कचौड़ी विक्रेता के खिलाफ इंटेलिजेंस ब्यूरो लखनऊ में शिकायत के बाद लखनऊ से अलीगढ़ तक विभाग में खलबली मच गई. शिकायत पर अलीगढ़ वाणिज्य कर विभाग की एसआईबी टीम ने मुकेश कचौड़ी वाले की तलाश की, जिसके बाद टीम ने दुकान की बिक्री का जायजा लिया. जांच के दौरान कचौड़ी वाले दुकानदार ने स्वयं हर महीने लाखों रुपए टर्न ओवर होने की बात स्वीकार की.
नियमों का उल्लंघन
इस दौरान एजेंसी ने प्राथमिक जांच में कचौड़ी की बिक्री और कच्ची खाद्य सामग्री की खरीद को लेकर कचौड़ी व्यापारी के 60 लाख सालाना टर्न ओवर होने का खुलासा किया है. आपको बता दें 40 लाख सालाना टर्न ओवर वाले व्यापारियों का जीएसटी पंजीकरण कराना अनिवार्य है, लेकिन कचौड़ी व्यापारी के 60 लाख से अधिक सालाना टर्न ओवर होने के बावजूद भी जीएसटी पंजीयन नहीं मिला, जांच करने वाली टीम ने कचौड़ी व्यवसायी का सालाना टर्न ओवर एक करोड़ से अधिक होने की संभावना भी जताई है.
एसआईबी के निशाने पर सभी कचौड़ी वाले
बेहद ही चौंकाने वाले इस मामले के बाद एसआईबी के निशाने पर अब ताला नगरी के सभी कचौड़ी वाले आ गए हैं, छोटे से कचौड़ी विक्रेता का इतना सालाना टर्न ओवर का मामला सामने आने के बाद बड़े कचौड़ी विक्रेता वाणिज्य कर विभाग की रडार पर हैं. टीम इन पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है. सूत्रों की अगर मानें तो ताला नगरी में ठेले पर कचौड़ी बेचने वाले भी करोड़पति हैं. इस मामले के खुलासे के बाद शहर के कचौड़ी विक्रेताओं में खलबली मची हुई है. वहीं, जब इस मामले को लेकर कचौड़ी विक्रेता मुकेश से बात की गई तो उन्होंने 60 लाख सालाना टर्न ओवर होने की बात से इनकार किया, लेकिन 22 से 25 लाख का सालाना टर्न ओवर होने की बात स्वीकार की. मुकेश ने यह भी बताया कि कचौड़ी के अलावा मिठाई और दूध का कारोबार भी उसमें शामिल है.