कोलकाता।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नीति आयोग द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया है। ममता ने तर्क दिया है की नीति आयोग के पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं है। ऐसे में इन बैठकों में भाग लेने से कोई फायदा नहीं है। यहां बताना आवश्यक है कि मोदी सरकार के पिछले कार्य काल में भी ममता ऐसे बैठकों से दूर रहती थी। इस बार तो पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं गई।
ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र से अपनी नाराजगी जाहिर की है। ममता ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय अधिकार और राज्य की योजनाओं को समर्थन देने का अधिकार नहीं है, इसलिए उनका इस बैठक में आना बेकार है। इससे पहले भी वह पीएम के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुई थीं।
ममता बनर्जी ने भी अब केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को ममता बनर्जी ने नीति पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा कि वह नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगी। चिट्ठी में ममता ने लिखा, ‘नीति आयोग के पास कोई वित्तीय अधिकार और राज्य की योजनाओं को समर्थन देने का अधिकार नहीं है, इसलिए मेरा बैठक में आना बेकार है।’
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी और भाजपा के बीच नाराजगी बढ़ती ही जा रही है। अब टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वह नीति आयोग के बैठक में शामिल नहीं होंगी। बता दें कि इससे पहले ममता बनर्जी ने अंतिम समय पर पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने से मना कर दिया था।
जानकारी हो कि इससे पहले ममता भाजपा पर शपथ ग्रहण में सियासत का आरोप लगाते हुए पीएम के शपथग्रहण समारोह का हिस्सा नहीं बनी थीं। पत्र में ममता ने लिखा था, ‘नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी आपको बधाई! ‘संवैधानिक आमंत्रण’ पर मैंने शपथ ग्रहण में शामिल होने का फैसला किया था। हालांकि, पिछले कुछ घंटे में मीडिया रिपोर्ट में मैंने देखा कि भाजपा दावा कर रही है कि बंगाल में 54 राजनीतिक हत्याएं हुई हैं। यह पूरी तरह से झूठ है। बंगाल में कोई राजनीतिक हत्या नहीं हुई है। संभव है कि यह हत्या पुरानी रंजिश, पारिवारिक झगड़े या फिर किसी और रंजिश में हुई हो। इसमें राजनीति का कोई संबंध नहीं है और न ही हमारे रेकॉर्ड में ऐसा कुछ है।’
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के शुरू होने के साथ ही भाजपा और टीएमसी के बीच नाराजगी देखने को मिली। चुनावों के बीच यह नाराजगी और बढ़ी। प्रदेश में लगातार हिंसा को लेकर जहां दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया, वहीं ‘जय श्रीराम’ और ‘जय बांग्ला’ जैसे नारों पर भी तकरार दिखा। इस बीच भाजपा की तरफ से ममता बनर्जी को जय श्रीराम लिखे हजारों पोस्टकार्ड भी भेजे गए हैं।
प्लानिंग कमीशन को वापस लाया जाना चाहिए
ममता बनर्जी ने कहा ‘मुझे 15 जून को होने वाली नीति आयोग की मीटिंग का पत्र मिला था। मैं इसमें शामिल नहीं होने वाली हूं क्योंकि मुझे लगता है प्लानिंग कमिशन इससे ज्यादा असरदार और सफल था। प्लानिंग कमीशन को वापस लाया जाना चाहिए।
प्रशांत किशोर पर बात करने से किया इनकार
ममता ने इसके अलावा राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और ईश्वर चंद्र विद्यासागर की टूटी प्रतिमा को लेकर भी बयान दिया उन्होंने प्रशांत किशोर के लेकर कहा ‘मैं इस मुद्दे पर बात नहीं करुंगी, यह एक आंतरिक मुद्दा है।’ उन्होंने ईश्वर चंद्र विद्यासागर की टूटी प्रतिमा को लेकर कहा ‘ 11 जून को दोपहर 1:30 बजे उनकी प्रतिमा को बदला जाएगा।