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लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव आयोग ने किया साफ- नतीजे आने में बस कुछ घंटों की होगी देरी

विपक्ष की मांग मानने के चलते अब लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने में 2-3 दिन भी लग सकते हैं. विपक्ष की मांग है कि एक लोकसभा सीट की हर विधानसभा की 5 VVPAT पर्चियों की गिनती और मिलान शुरुआत में ही किया जाए. अगर मिलान में गड़बड़ी होती है, तो फिर सभी VVPAT पर्चियों से मिलान कराया जाए. हालांकि चुनाव आयोग ने अब साफ कर दिया है कि ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का मिलान मतगणना पूरी होने के बाद ही किया जाएगा.

क्या है मामला?
चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करने की वजह से लोकसभा चुनाव नतीजे आने में देरी हो सकती है. दिशा-निर्देश के मुताबिक, एक चरण की मतगणना की पूरी प्रक्रिया खत्म होने का बाद ही दूसरे चरण की मतगणना शुरू होगी.

क्या है देरी का कारण?
एक लोकसभा चुनाव क्षेत्र में कई विधानसभा क्षेत्र होते हैं,मतगणना कई सभागार में होती है.इसलिए एक चरण पूरा होने के बाद हर विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों को सेंट्रल टेबल पर जोड़ना होता है. इसलिए एक चरण से दूसरे चरण के रुझान आने में देरी होगी. लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव की तुलना में एक चरण की मतगणना में अधिक वक्त लगता हैं. लोकसभा चुनाव की मतगणना से जुडे दिशा-निर्देश सभी राज्यों को भेजे जा चुके हैं.

चुनाव आयोग ने विपक्ष की मांग खारिज करते हुए कहा कि VVPAT पर्चियों का मिलान मतगणना पूरी होने के बाद ही किया जाएगा. ऐसे में अंतिम नतीजे सामने आने में 5-6 घंटे तक की देरी हो सकती है.

दिल्ली चुनाव आयुक्त ने भी जताई थी आशंका
दिल्ली के चुनाव आयुक्त रणबीर सिंह ने भी बुधवार को कहा था कि शुरू के 8-10 घंटे में EVM की गिनती हो जानी चाहिए. उसके बाद VVPAT की काउंटिंग में भी 5-6 घंटे लग सकते हैं. ऐसे में पूरा रिज़ल्ट आते-आते रात के 10-12 बज सकते हैं.

विपक्ष चाहता था 50% वोटों का मिलान
शुरुआत में चुनाव आयोग हर लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र से केवल एक वीवीपैट के मतों का ही ईवीएम से मिलान करने को कह रहा था. हालांकि, विपक्षी पार्टियों की मांग थी कि कम से कम 50 फीसदी वीपीपैट मशीनों और ईवीएम के मतों का मिलान किया जाना चाहिए. अगर चुनाव आयोग इन पार्टियों की गुजारिश मान लेता, तो औसतन उसे हर सीट पर 125 ईवीएम मशीनों के मतों का मिलान वीवीपैट मशीन के मतों से करना पड़ता.

हालांकि, जानकारों के मुताबिक अगर चुनाव आयोग पूरे देश को मिलाकर 750 से 1000 ईवीएम और वीवीपैट के मतों का मिलान कर देता है, तब भी इस व्यवस्था की सटीकता पर लोगों को विश्वास हो जाएगा. अभी जिस प्रक्रिया का पालन किया जाना है, उससे लोकसभा के मामले में पूरे देश में करीब 2710 ईवीएम और वीवीपैट मशीनों के मतों का मिलान किया जाएगा. यह कुल ईवीएम और वीवीपैट मशीनों का 2 फीसदी होगा.

इस मामले में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को अपने जवाब के बारे में बताया था कि अगर चुनाव आयोग विपक्षी पार्टियों की मांग मानते हुए 50% वीवीपैट मशीन के मतों का ईवीएम के मतों से मिलान करे, तो उसे चुनावों के नतीजे घोषित करने में 6 दिन की देरी होगी.

2014 के आम चुनावों में भी ईवीएम के साथ लगाई थी वीवीपैट मशीन
कम ही लोग जानते होंगे कि चुनाव आयोग ने 2014 के आम चुनावों में भी VVPAT मशीनों का प्रयोग किया था. हालांकि, ये वीवीपैट मशीनें 543 में से सिर्फ 8 सीटों पर ही प्रयोग हुई थीं. हालांकि उस वक्त इन वीवीपैट मशीनों के वोटों का ईवीएम के वोटों से मिलान नहीं किया गया था.

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