नई दिल्ली।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 पेश करेंगे। इसके तहत जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 में संशोधन किया जाएगा। इस विधेयक के अमल में आने के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले लोगों की तरह ही आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।
पिछले महीने लोकसभा चुनावों में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद संसद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का यह पहला विधेयक होगा। विधेयक को पेश करने के बाद अमित शाह इसके पक्ष में सरकार की बात रखेंगे। इस विधेयक को पहले अध्यादेश के रूप में लागू किया गया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 फरवरी को ‘जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश, 2019’ को मंजूरी दी थी। इस पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी मुहर लगा दी थी।
क्या कहता है संशोधन
आरक्षण नियम में हुआ संशोधन कहता है कि कोई व्यक्ति जो पिछड़े क्षेत्रों, नियंत्रण रेखा और अंतराष्ट्रीय सीमा से सुरक्षा कारणों से चला गया हो उसे आरक्षण के फायदों से वंचित नहीं किया जा सकता। पिछड़े इलाकों, एलओसी और आईबी के करीब रहने वाले इलाकों के निवासियों को कई सारी सुविधाएं मिलती हैं, जिसमें सरकारी नौकरियों में आरक्षण और पदोन्नित और सब्सिडी का फायदा मिलता है। लेकिन पिछड़े क्षेत्रों के निवासियों, नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास रहने वाले किसी भी व्यक्ति को शासकीय फायदा तभी मिल सकता है, जब वह पिछड़े क्षेत्र के रूप में चिह्नित जगहों पर 15 वर्षों से रह रहा हो।