नई दिल्ली।
आतंकवाद को मदद देने के मुद्दे पर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और ज्यादा मुश्किल में पड़ता दिख रहा है। एक तरफ जहां संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने जमात-उद-दावा के मुखिया हाफिज सईद पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों में किसी भी तरह की ढील देने से साफ इन्कार कर दिया है तो दूसरी तरफ ब्रिटेन ने भारत से साफ तौर पर कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह हरसंभव मदद करेगा।
हाफिज सईद की तरफ से यूएन में आवेदन किया गया था कि उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के आतंकियों की सूची से अलग रखा जाए। भारत, ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस की तरफ से इसका संयुक्त तौर पर विरोध किया गया। यूएन ने हाफिज सईद का यह प्रस्ताव तब ठुकराया है जब वह पाकिस्तान स्थित एक अन्य आतंकी संगठन जैश-ए- मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर के खिलाफ ऐसा ही प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
सूत्रों ने बताया कि 2017 में हाफिज सईद ने लाहौर की एक लॉ फर्म मिर्जा एंड मिर्जा के जरिये यूएन की तरफ से 2008 में लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ आवेदन किया था। उसके प्रस्ताव पर यूएन की तरफ से नियुक्त मध्यस्थ डैनियल फासियाती ने विस्तार से समीक्षा करने के बाद निरस्त कर दिया है। इसी हफ्ते इस बारे में हाफिज सईद तक यह सूचना भी पहुंचा दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, सईद के इस प्रस्ताव को खारिज कराने के लिए भारत ने अन्य देशों के साथ कई स्तरों पर काम किया।
सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र की तरफ से नियुक्त मध्यस्थ को हाफिज सईद की गतिविधियों का विस्तृत ब्योरा सौंपा गया। उसके संगठन की गतिविधियों और उस पर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस समेत अन्य देशों की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में भी सूचना उपलब्ध कराई गई। भारत का साफ तौर पर मानना है कि हाफिज सईद की आतंकी गतिविधियां अभी तक जारी हैं और वह विश्व शांति के लिए एक बड़ा खतरा है। आश्चर्य की बात यह है कि पाकिस्तान की तरफ से हाफिज सईद के प्रस्ताव का कोई विरोध नहीं किया गया जो आतंकवाद पर उसके दोहरे चरित्र का खुलासा करता है।
सितंबर, 2008 में मुंबई हमले के बाद भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में हाफिज सईद पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया था। इसका दूसरे देशों ने भी समर्थन किया था और अंतत: दिसंबर, 2008 में उसे यूएन की 1267 प्रतिबंध संबंधी समिति ने व्यक्तिगत स्तर पर प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव पारित किया था। इसके तहत यूएन की तरफ से सभी सदस्य देशों को यह निर्देश दिया गया है कि वे हाफिज सईद की हर संपत्ति जब्त कर लें, उसके आने जाने को पूरी तरह से प्रतिबंधित करें और उसे किसी भी तरह के हथियारों की खरीद बिक्री न होने दें।
भारत चाहता है कि मौलाना मसूद अजहर पर इसी नियम के तहत प्रतिबंध लगे। इस बारे में पिछले 10 वर्षों के दौरान कई बार कोशिश की गई, लेकिन चीन की वजह से ऐसा नही हो सका। अभी पिछले हफ्ते ही एक बार फिर फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन ने मौलाना मसूद अजहर को लेकर नया प्रस्ताव यूएन में पेश किया है। अजहर 1999 में भारतीय जेल से रिहा किए जाने के बाद से पाकिस्तान में ही रह रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने पिछले हफ्ते यह बात स्वीकार भी की है।
ब्रिटिश एनएसए ने की डोभाल से बात
ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मार्क सेडविल ने गुरुवार को भारतीय एनएसए अजीत डोभाल से फोन पर बात की और उन्हें आतंकवाद के खिलाफ हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। सूत्रों ने बताया कि ब्रिटेन द्विपक्षीय स्तर पर गोपनीय सूचनाओं का आदान प्रदान करने से लेकर आतंकियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और उन्हें सजा दिलाने में भी मदद करेगा। पिछले हफ्ते कुछ ऐसी ही पेशकश अमेरिकी एनएसए ने भी डोभाल के साथ बातचीत में की थी।