संसद के शीतकालीन सत्र की अब सिर्फ एक बैठक बची हुई है और मंगलवार को सत्र खत्म हो जाएगा. सोमवार को संसद के दोनों सदनों में समाजवादी पार्टी के सांसदों ने जमकर हंगामा किया. सपा का आरोप है कि केंद्र सरकार 2019 के चुनाव से पहले सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है, जिसके तहत पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ सरकार के इशारों पर काम किया जा रहा है.
लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ. लोकसभा में सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने मोर्चा संभाला तो राज्यसभा में रामगोपाल यादव की अगुवाई में प्रदर्शन हुआ. धर्मेंद्र यादव लगातार सदन में नारे लगाते दिखे. उन्होंने सदन के भीतर कहा कि बीजेपी ने सीबीआई के तोते से गठबंधन कर लिया है और अब हमारे नेता के खिलाफ सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है. धर्मेंद्र ने कहा कि बीजेपी को पता होना चाहिए कि तोता चुनाव में वोट नहीं करेगा, बल्कि चुनाव में वोट उत्तर प्रदेश और देश की जनता करेगी.
उधर, राज्यसभा में भी कुछ इस तरह का ही प्रदर्शन देखने को मिला जब सपा के सांसद वेल में आकर नारेबाजी करते रहे. चेयर की ओर से लगातार सांसदों को सीट पर वापस जाने के लिए कहा गया लेकिन सपा के नीरज शेखर और सुरेंद्र नागर समेत अन्य दलों के सांसद वेल में खड़े होकर नारेबाजी करते रहे. आंध्र प्रदेश के मुद्दे पर टीडीपी और राफेल के मुद्दे पर कांग्रेस ने भी सदन के भीतर जोरदार प्रदर्शन किया.
‘गठबंधन से डरी बीजेपी’
संसद परिसर में समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि अभी SP-BSP का गठबंधन हुआ भी नहीं है उससे पहले ही सरकार ने सीबीआई का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी और उनके सहयोगी अगर सड़क पर आएंगे तो बीजेपी वालों का सड़क पर चलना मुश्किल हो जाएगा, यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी को भी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए वाराणसी सीट छोड़कर यूपी से बाहर की कोई और सीट तलाशनी होगी.
सपा को मिला विपक्ष का साथ
संसद के दोनों सदनों में सीबीआई के मुद्दे पर हंगामे की वजह से कामकाज ठप रहा. लोकसभा में सरकार ने पर्सनल लॉ संशोधन बिल को भारी हंगामे की बीच पारित करा लिया. लेकिन राज्यसभा की कार्यवाही तीन बार स्थगित कर आखिरकार दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी. राज्यसभा के सदस्यों का एक दल सभापति के चैंबर में भी गया लेकिन वहां भी सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से चला पाने पर सगमति नहीं बन पाई.
मंगलवार को शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है. केंद्र सरकार के लिए यह सत्र काफी अहम है क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले यह आखिरी पूर्ण सत्र है. इसके बाद अंतरिम बजट पारित करने के लिए एक छोटा सत्र और बुलाया जाएगा. इस सत्र में सरकार तीन तलाक समेत कई अहम विधेयकों को संसद के दोनों सदनों से पारित करा पाने में असफल रही है.