नई दिल्ली।
कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से देश की आबोहवा बदल रही है। भारत में हर तरह के प्रदूषण में खासी कमी आई है। 91 शहरों की हवा की गुणवत्ता 29 मार्च तक ही अच्छी और संतोषजनक श्रेणी में आ चुकी है। तीन-चार महीने पहले ही उत्तर भारत के जो शहर दमघोंटू हवा में जकड़े थे, वह अब शुद्ध हवा में सांस ले रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के कारण पावन गंगा नदी का जल भी फिर से निर्मल होने लगा है। इन दिनों उसका प्रदूषण कम हो रहा है। लॉकडाउन की वजह से नदी में औद्योगिक कचरे की डंपिंग में कमी आई है। गंगा का पानी ज्यादातर मॉनिटरिंग सेंटरों में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है।
औद्योगिक इकाइयों में कामकाज बंद होने से प्रदूषण में आई कमी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस के लिए लागू यातायात संबंधी प्रतिबंधों और औद्योगिक इकाइयों में कामकाज बंद किए जाने से देश में प्रदूषण के स्तर में खासी कमी आई है। लॉकडाउन से गंगा काफी स्वस्थ्य होती जा रही है क्योंकि इन दिनों औद्योगिक कचरा नहीं डंप हो रहा है। रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग में गंगा नदी का पानी 36 मॉनिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न जगहों पर गंगा के पानी में काफी सुधार देखा गया। मॉनीटरिंग स्टेशनों के ऑनलाइन पैमानों पर पानी में ऑक्सीजन घुलने की मात्रा प्रति लीटर 6 एमजी से अधिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 एमजी प्रति लीटर और कुल कोलीफार्म का स्तर 5000 प्रति 100 एमएल हो गया है। इसके अलावा पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है जो गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत को दर्शाता है।
सीपीसीबी के रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग डाटा के अनुसार उसकी 36 मॉनिटरिंग यूनिटों में से 27 के आसपास पानी की गुणवत्ता वन्यजीवों और मछलियों के लिए उपयुक्त पाई गई है। इससे पहले, जब गंगा नदी के पानी की मॉनिटरिंग हुई थी तब उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश में कुछ एंट्री प्वांट्स, पश्चिम बंगाल की खाड़ी में जाने तक पूरे रास्ते नदी का पानी नहाने के लिए भी ठीक नहीं था।
कानपुर के आसपास पानी बेहद साफ
विशेषज्ञों का मानना है कि देश में लॉकडाउन के बाद से गंगा नदी की के पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। पर्यावरणविद विक्रांत टोंकद का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्रों में खासा सुधार देखा जा रहा है, जहां बड़े पैमाने पर कचरा नदीं में डाला जाता था। उन्होंने कहा कि गंगा में कानपुर के आसपास पानी बेहद साफ हो गया है। इसके अलावा, गंगा की सहायक नदियों ¨हडन और यमुना का पानी भी पहले से साफ हुआ है। हालांकि घरेलू सीवरेज की गंदगी अभी भी नदी में ही जा रही है। इसके बावजूद औद्योगिक कचरा गिरना एकदम बंद ही हो गया है। इसीलिए पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते आने वाले कुछ दिनों में गंगा के जल में और सुधार की पूरी उम्मीद है।
नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता बढ़ी
पर्यावरणविद् और साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम, रिवर, पीपुल (एसएएनडीआरपी) के एसोसिएट कोआर्डिनेटर भीम सिंह रावत ने बताया कि आर्गेनिक प्रदूषण अभी भी नदीं के पानी में घुल कर खत्म हो जाता है। लेकिन औद्योगिक इकाइयों से होने वाला रासायनिक कचरा घातक किस्म का प्रदूषण है जो नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता को खत्म कर देता है। लॉकडाउन के दौरान नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता में सुधार के कारण ही जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। ध्यान रहे कि भारत में 25 मार्च से तीन सप्ताह का पूर्ण लॉकडाउन लागू है। देश की 1.3 अरब आबादी को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें उनके घरों में ही रहने का आदेश है।
अत्यधिक प्रदूषित शहर भी नौ से शून्य के मानक पर आए
पिछले कुछ दिनों में देश भर के कई शहरों और कस्बों में हवा भी काफी साफ हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 21 मार्च (जनता कफ्र्यू से एक दिन पहले) 54 शहरों में वायु की गुणवत्ता अच्छी और संतोषजनक थी। लेकिन 29 मार्च को देश के 91 शहरों में वायु प्रदूषण न्यूनतम हो गया। अत्यधिक प्रदूषित शहर भी नौ से शून्य के मानक पर आ गए। देश में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने में जिम्मेदार औद्योगिक क्षेत्र जैसे-ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री, पावर प्लांट्स, निर्माण की गतिविधियां, बायोमास का जलना और सड़कों पर उड़ने वाली धूल और यहां तक कि घरों में होने वाली गतिविधियां (जैसे एसी चलाना आदि) भी बंद हैं। इसके अलावा डीजी सेट, रेस्त्रां, कचरा जलाने की गतिविधियां भी बंद हैं।
दिल्ली-एनसीआर की हवा में भी सुधार
साल भर से अधिकतम वायु प्रदूषण से जूझ रही दिल्ली में भी हवा में खासा सुधार आया है। यहां लॉकडाउन के दौरान पीएम10 और नाइट्रोजन आक्साइड में भारी कमी हुई है। दिल्ली में 22-23 मार्च को पीएम10 में 44 फीसद की कमी थी। हालांकि एनसीआर (नेशनल कैपिटन रेंज) में दिल्ली जितना फर्क नहीं पड़ा है। गुरुग्राम को छोड़कर एनसीआर में 22 मार्च को पीएम10 में कमी आई। पीएम2.5 का स्तर अथिक रहा। नोएडा में छह फीसद और गाजियाबाद में नौ फीसद था।