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किसान आत्महत्या: यूपी-बिहार में आबादी ज्यादा लेकिन आत्महत्याएं कम, यह राज्य शीर्ष पर

10,349, यह आंकड़ा उन किसानों का है जो अब नहीं रहे। नेशनल क्राइम एनसीआरबी द्वारा ‘हादसों में मौतों व आत्महत्याओं’ (एडीएसआई) पर जारी सालाना रिपोर्ट के अनुसार इन किसानों ने 2018 में आत्महत्या कर ली। यह आंकड़ा देश में हुई आत्महत्याओं का 7.7 प्रतिशत है और लगातार बिगड़ रहे किसानों के हालात बताता है।
वर्ष 2016 में हुई 11,379 किसानों की आत्महत्याओं के मुकाबले यह संख्या कम है, लेकिन खास बात है कि कई राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तराखंड, मेघालय, गोवा, चंडीगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुडुचेरी जैसे राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने यहां किसी किसान द्वारा आत्महत्या करने की बात नहीं मानी है।

वहीं 2017 के किसानों के आंकड़े गृह मंत्रालय ने जारी नहीं किए गए हैं, ऐसे में सालाना तुलना नहीं हो सकी है। रिपोर्ट के अनुसार आत्महत्या करने वाले किसानों में अधिकतर पुरुष हैं, और 821 महिलाएं हैं। इनमें 5763 कृषक और 4586 कृषि श्रमिक हैं।

बीते वर्षों में कमी के बाद अचानक 3.6 प्रतिशत वृद्धि

एक और चिंताजनक तथ्य सामने आया है कि आत्महत्या करने वालों की संख्या 3.6 प्रतिशत बढ़ी है। बीते कुछ समय में इस संख्या में कमी आ रही थी, लेकिन 2017 में 1,29,887 के मुकाबले 2018 में 1,34,516 लोगों ने अपने जीवन को त्याग दिया।

साल दर साल घटती-बढ़ती रही आत्महत्या की दर

साल आत्महत्याएं
2014 1,31,666
2015 1,33,623
2016 1,31,008
2017 1,29,887
2018 1,34,516

इस राज्य में आत्महत्या की दर सर्वाधिक

इन आत्महत्याओं में अकेले महाराष्ट्र की हिस्सेदारी सर्वाधिक 13.4 प्रतिशत रही। पांच सर्वाधिक आत्महत्याओं की संख्या वाले राज्यों में देश की 50 प्रतिशत आत्महत्याएं दर्ज हुईं।

प्रमुख राज्य आत्महत्याएं
महाराष्ट्र 17,972
तमिलनाडु 13,896
पश्चिम बंगाल 13,255
मध्यप्रदेश 11,775
कर्नाटक 11,561

यूपी-बिहार: आबादी ज्यादा, आत्महत्याएं कम

उत्तर प्रदेश में जीवन के प्रति ज्यादा सम्मान दर्शाया गया। यहां देश की करीब 16.9 प्रतिशत आबादी निवास करती है, वहीं देश में हुई कुल आत्महत्याओं में यहां 3.6 प्रतिशत दर्ज हुईं, संख्या 4,849 रही। बिहार में भी 443 आत्महत्याएं दर्ज की गईं। इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक आबादी वाले दिल्ली में सर्वाधिक 2,526 आत्महत्याएं र्हुइं। इसके बाद पुडुचेरी 500 की संख्या के साथ रहा।

पारिवारिक विवाद सबसे बड़ी वजह

30.4 प्रतिशत आत्महत्याएं पारिवारिक विवादों की वजह से की गईं।
17.7 प्रतिशत में बीमारियां वजह बनीं
6.2 प्रतिशत में वैवाहिक विवाद वजह रहे
5.3 प्रतिशत में नशीली दवाएं और शराब की लत ने लोगों को आत्महत्या करवाई
4 प्रतिशत ने प्रेम प्रसंगों के चलते अपना जीवन खत्म किया
3.7 प्रतिशत ने दिवालिया होने या बिगड़ी आर्थिक परिस्थितियों केे चलते जान दी
2-2 प्रतिशत ने परीक्षा में फेल होने या बेरोजगारी की वजह से जान दी

आत्महत्या करने वालों में दो तिहाई युवा

आंकड़ों में एक दुखद तथ्य यह भी सामने आया कि देश के युवा बड़ी संख्या में अपना जीवन खत्म कर रहे हैं। 18 से 45 वर्ष के 89,396 युवाओं ने आत्महत्या की। यह कुल आत्महत्याओं का 66.46 प्रतिशत है।

आयु वर्ग संख्या
18 वर्ष से कम 8931
18 से 30 वर्ष 46903
30 से 45 वर्ष 42493
45 से 60 वर्ष 24982
60 वर्ष से अधिक 10696

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