लोकसभा चुनाव 2019 का जनादेश आ गया है, नरेंद्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. बीजेपी की इस जीत से विपक्ष में हलचल मच गई है, सबसे बड़ा बवाल तो पंजाब में हुआ है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस हार के लिए नवजोत सिंह सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया है. अब वह उनपर और भी हमलावर हो गए हैं. अमरिंदर ने पार्टी नेतृत्व से दो टूक कह दिया है कि वह सिद्धू और उनमें से किसी एक को चुन लें.
सूत्रों की मानें तो कैप्टन अमरिंदर ने केंद्रीय नेतृत्व से कह दिया है कि नवजोत सिंह सिद्धू की वजह से पंजाब और अन्य राज्यों में पार्टी को काफी नुकसान हुआ है. अब पार्टी को उनमें या नवजोत सिंह सिद्धू में से किसी एक को चुनना होगा.
कैप्टन ने कहा है कि या तो सिद्धू को पार्टी से ही बाहर कर दें, वरना पंजाब से हटा दिल्ली में उन्हें कोई जिम्मेदारी दें. लेकिन इसके साथ ही उन्हें जोर लगाकर कहा कि सिद्धू को पार्टी से बाहर करना ही बेहतर होगा.
आपको बता दें कि पंजाब में कांग्रेस को 13 में से 8 सीटें, बीजेपी-अकाली दल को 4 और आम आदमी पार्टी को 1 सीट मिली हैं. कांग्रेस का दावा था कि वह पंजाब में इस बार सभी 13 सीटों पर जीत दर्ज करेगी.
‘बाजवा को गले मिलना पड़ गया भारी’
दरअसल, गुरुवार को जब नतीजे आए तो उसके बाद ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू पर हार का ठीकरा फोड़ा था. अमरिंदर सिंह ने कहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू का पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जावेद बाजवा से गले मिलना पार्टी को महंगा पड़ा. किसी भी हिंदुस्तानी को ये बात रास नहीं आई.
नवजोत सिंह सिद्धू पर ना सिर्फ पार्टी में बल्कि सोशल मीडिया पर भी हमला तेज हो गया है. उन्होंने पहले कहा था कि अगर राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हारते हैं, तो वह राजनीति छोड़ देंगे. अब राहुल अमेठी में हार गए हैं, ऐसे में सोशल मीडिया पर लोग उन्हें उनका पुराना बयान याद दिला रहे हैं.
अब क्या करेंगे सिद्धू?
नवजोत सिंह सिद्धू भारतीय जनता पार्टी छोड़ कर ही कांग्रेस में आए थे. जब वह बीजेपी में थे तो गांधी परिवार को जमकर कोसते थे, लेकिन जब पाला बदला तो उनका रंग ही अलग था. सिद्धू कांग्रेस में आए तो उन्होंने खुद को जन्मजात कांग्रेसी कहा, और फिर नरेंद्र मोदी-अमित शाह को जमकर कोसा. पूरे कैंपेन में वह सबसे ज्यादा हमलावर रहे.
ऐसे में सिद्धू के लिए कांग्रेस से अगर बाहर के रास्ता दिखाया जाता है, तो उनके लिए किसी अन्य पार्टी में जाना या फिर वापस बीजेपी में मुश्किल हो सकता है.