सहारनपुर/ नई दिल्ली : दुनिया की अग्रणी कन्ज्यूमर हेल्थ एवं हाइजीन कंपनी रैकिट बेंकिसर ने डेटॉल बनेगा स्वथ इण्डिया हैण्डवॉश डिजिटल कार्यक्रम के सफल लॉन्च के बाद ऑल इण्डिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ईमाम्स के सहयोग से प्रोग्राम के दूसरे चरण की घोषणा की है। अपने पहले चरण में इस प्रोग्राम ने समग्र हाइजीन शिक्षा कार्यक्रम के ज़रिए 1,00,000 बच्चों के जीवन को सफलतापूर्वक प्रभावित किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हाइजीन की गलत आदतें पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का मुख्य कारण हैं। शुरूआती अध्ययन दर्शाते हैं कि मदरसों के बच्चों में हाथ धोने के बारे में जानकारी (50%), दृष्टिकोण, आदत एवं व्यवहार (32%) की दृष्टि से बड़ा अंतराल है। इस पहल के माध्यम से हम बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करना चाहते हैं और दूसरे साल में ज्ञान के प्रसार को 50 फीसदी से 90 फीसदी तक बढ़ाना चाहते हैं।
ग्रामीण भारत के स्कूली बच्चों में हाइजीन एवं सेनिटेशन की सर्वश्रेष्ठ आदतों को बढ़ावा देना इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य है। बच्चों की पृष्ठभूमि, स्वीकार्यता एवं मौजूदा अकादमिक पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए यह अवधारण पेश की गई है। यह वीडियो आधारित लर्निंग प्रोग्राम उर्दु एवं हिंदी दोनों भाषाओं में बच्चों के लिए उपलबध है। दूसरे चरण में यह प्रोग्राम जानकारी में सुधार लाएगा।
प्रोग्राम की विशेषताएं
इस मोड्यूल के तहत स्कूलों में पाठ्येत्तर/ सह-पाठ्यक्रम गतिविधियां शामिल हैं।
यह मोड्यूल टेक्स एवं ऑडियो-विजुअल कंटेंट, प्रशिक्षण, गेम्स आदि के माध्यम से बच्चों के लिए रोचक तरीके प्रस्तुत करता है।
मोड्यूल/ कैप्स्यूल के कंटेंट का इस्तेमाल अर्द्ध शहरी, ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में किया जा सकता है।
विभिन्न श्रेणियों- प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा- के लिए मोड्यूल्स के तीन स्तर पेश किए गए हैं।
मोड्यूल्स 7 भाषाओं में उपलब्ध हैं और इन्हें विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है।
इस लॉन्च के अवसर पर रवि भटनागर, डायरेक्टर, एक्सटर्नल अफेयर्स एवं पार्टनरशिप्स, आरबी हेल्थ इण्डिया ने कहा, “हमें गर्व है कि पैगाम-ए-सेहत के शुरूआती वर्ष में हम मदरसों में हाइजीन एवं हाथ धोने के तरीकों, जानकारी एवं आदतों को लेकर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर पाए हैं। इस साल हम सामुहिक सामुदायिक प्रयासों के ज़रिए व्यवहार में बदलाव लाने पर ध्यान दे रहे हैं। परिणामस्वरूप हम पांच सालों में चरणबद्ध तरीके से 5,50,000 से अधिक मदरसों में तकरीबन 6 करोड़ बच्चों को संवेदनशील बनाएंगे। मेरा मानना है कि ये प्रयास भारत में इस मुहिम को बढ़ावा देंगे, जिसे हमने सफाई एवं सेहत की दिशा में शुरू किया है।”