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अन्य देशों के मुकाबले हम भारतीय मानसिक तौर पर ज्यादा मजबूती से कोरोना को दे रहे हैं टक्कर

भारतीय अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों के नागरिकों के मुकाबले ज्यादा मजबूती से कोरोना वायरस से लड़ पा रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान भारत में मानसिक परेशानियों के मामले सामने आए हैं, लेकिन यह दूसरे देशों के मुकाबले एक-तिहाई से भी कम हैं। वहीं, जिन्हें मानसिक तनाव, अवसाद, बेचैनी, अनिद्रा जैसी समस्याएं हो भी रही हैं, उनमें से ज्यादातर ऐसे हैं, जो लंबे समय से ऐसे किसी मनोरोग से लड़ रहे हैं।

इंडियन साइकैट्री सोसायटी के सर्वे के मुताबिक, भारत में मनोरोगों का सामना करने वाले मरीजों की संख्या में करीब 15 से 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह इजाफा लॉकडाउन के पहले हफ्ते में दिखा है। विशेष जरूरत वाले बच्चों और मनोरोगियों का ख्याल रखने वाली संस्था मॉम्स बिलीफ की वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक शुचिता दुआ का कहना है कि भारत की सबसे बड़ी मजबूती पारिवारिक सहयोग है। छोटे परिवारों में भी एक-दूसरे से जुड़ाव है। सोशल डिस्टेंसिंग के बावजूद दोस्तों, करीबियों और रिश्तेदारों के बीच समय बिताने की हमारी संस्कृति हमें मानसिक ताकत देती है। हालांकि, उन्होंने कहा भारत में भी रोजगार, कारोबार, कमाई,और खाने-पीने के संकट को लेकर लोगों में चिंता है।

ब्रिटेन में 80 फीसदी युवा परेशान
ब्रिटेन में तो 80 फीसदी युवा कोरोना के बाद से मानसिक तौर पर परेशान हैं। यंगमाइंड्स का 20 से 25 मार्च के बीच का यह सर्वे 25 से कम उम्र के 2111 युवाओं पर किया गया। इसमें 83 फीसदी ने कहा कि महामारी से उन्हें भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है। 32 फीसदी ने कहा कि सब कुछ नष्ट हो गया है। वहीं, 51 फीसदी ने कहा कि आने वाला वक्त और भी बुरा होगा। एनएचएस, स्कूल-यूनिवर्सिटी काउंसलर, चैरिटी संस्था, हेल्पलाइन और निजी मनोचिकित्सकों के पास फोन-वीडियो कॉल की बाढ़ आ गई है। लोग डॉक्टरों से सलाह ले रहे हैं।

जानें क्या है लक्षण
हर वक्त बुरा होने की आशंका, बेचैनी-घबराहट, नींद न आना
एकाग्रता में कमी, तनाव में ज्यादा खाना-पीना, चिड़चिड़ापन
हर बात के लिए अपराधबोध महसूस करना, गुमसुम हो जाना
असामाजिक व्यवहार, नहाने जैसे रोजमर्रा के काम से भागना
ज्यादा फोन-टीवी खतरनाक
दिनचर्या बनाएं रखें, व्यायाम करें, नशे से दूर रहें
डायरी लिखें, पंसदीदा किताब पढ़ें, शौक पूरे करें
कोई नई हॉबी, ऑनलाइन कोर्स या खेलकूद से जुड़ें
टीवी-मोबाइल और इंटरनेट ज्यादा देर तक न चलाएं
अपने डर या आशंका को कागज पर लिखें
करीबियों से अपनी चिंता और चुनौतियों को साझा करें

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