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यौन उत्पीड़न मामले में CJI रंजन गोगोई को क्लीनचिट मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन, पीड़िता बोली- मेरे साथ ‘घोर अन्याय’ हुआ

नई दिल्ली: 

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के आरोपों से सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने क्लीनचिट देते हुये कहा है कि उसे उनके खिलाफ कोई ‘ठोस आधार’ नहीं मिला. इसके बाद महिलाओं ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट  के बाहर प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में महिला वकीलों के साथ-साथ कुछ एनजीओ के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया. बता दें कि पुलिस ने दिल्ली की लूटियंस जोन में बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने पर बैन लग रखा है. नारेबाजी के बीच कुछ प्रदर्शनकारियों ने अपनी गिरफ्तारी भी दी. बता दें, सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने चीफ जस्टिस पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे.

सीपीआई(एम) नेता वृंदा करात ने कहा, ‘प्रक्रिया पूरी तरह से अन्यायपूर्ण लग रही है. पीड़िता को रिपोर्ट क्यों नहीं दी जा सकती है? यह गलत है. जब वे मामले को खारिज कर रहे हैं, तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं पर और अधिक सवाल उठते हैं. यह अन्याय है.’ सुप्रीम कोर्ट परिसर के बाहर प्रदर्शनकारियों ने शिकायतकर्ता को रिपोर्ट देने की मांग भी की है.

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सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय के एक नोटिस में कहा गया है कि न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट ‘सार्वजनिक नहीं की जायेगी.’ समिति में दो महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी भी शामिल थीं. समिति ने एकपक्षीय रिपोर्ट दी क्योंकि इस महिला ने तीन दिन जांच कार्यवाही में शामिल होने के बाद 30 अप्रैल को इससे अलग होने का फैसला कर लिया था.

यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने कोर्ट की आंतरिक समिति द्वारा सोमवार को उन्हें क्लीन चिट दिये जाने पर कहा कि वह ‘बेहद निराश और हताश’ हैं. उन्होंने कहा कि भारत की एक महिला नागरिक के तौर पर उनके साथ ‘घोर अन्याय’ हुआ है और उनका ‘सबसे बड़ा डर’ सच हो गया तथा देश की सर्वोच्च अदालत से न्याय की उनकी उम्मीदें पूरी तरह खत्म हो गई हैं. महिला ने प्रेस के लिए एक बयान जारी कर कहा कि वह अपने वकील से परामर्श कर आगे के कदम के बारे में फैसला करेंगी.

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प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई भी एक मई को समिति के समक्ष पेश हुये थे और उन्होंने अपना बयान दर्ज कराया था. नोटिस में कहा गया है कि आंतरिक समिति को शीर्ष अदालत के पूर्व कर्मचारी की 19 अप्रैल, 2019 की शिकायत में लगाये गये आरोपों में कोई आधार नहीं मिला. इन्दिरा जयसिंह बनाम शीर्ष अदालत और अन्य के मामले में यह व्यवस्था दी गयी थी कि आंतरिक प्रक्रिया के रूप में गठित समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जायेगी. आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार ही दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश ने यह रिपोर्ट स्वीकार की और इसकी एक प्रति संबंधित न्यायाधीश, प्रधान न्यायाधीश को भी भेजी गयी.

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