नई दिल्ली:
फर्जी बयान दर्ज करने के आरोप में सीबीआई ने अपने ही विभाग के एक डीएसपी को गिरफ्तार किया है. आरोपी डीएसपी की पहचान देवेंद्र कुमार के रूप में हुई है. दरअसल, यह मामला मोइन कुरैशी मामले से जुड़ा हुआ है. आरोपी डीएसपी देवेंद्र सिंह इस केस का इंवेस्टीगेशन आफीसर था. उस पर आरोप है कि उसने इस केस के गवाह सतीश शना के बयान फर्जी तरीके से दर्ज किए थे.मामले का खुसाला होने पर सीबीआई ने डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है.
क्या है पूरा मामला:
सीबीआई के सूत्रों के अनुसार मोइन कुरैशी मामले में धारा 161 के तहत सतीश शना के बयान बतौर गवाह दर्ज किए जाने थे. दस्तावेजों की जांच में पता चला कि इस मामले के जांच अधिकारी डीएसपी देवेंद्र सिंह ने 26 सितंबर 2018 को गवाह सतीश शना के बयान दिल्ली में दर्ज किए हैं. जबकि, जांच में सतीश शना ने खुलासा कि 26 सितंबर 2018 को सतीश शना दिल्ली में ही नहीं थे. उस दिन उसके हैदराबाद में होने के साक्ष्य सीबीआई को मिले हैं. आरोपी डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ चल रही जांच में खुलासा हुआ कि वास्तविकता में सतीश शना ने एक अक्टूबर को इंवेस्टीगेशन ज्वाइन की थी.
सीबीआई के अनुसार, 26 सितंबर 2018 को डीएसपी देवेंद्र सिंह ने फर्जी बयान दर्ज किए गए थे. जिसमें शना के नाम से लिखा गया था कि “जून 2018 में मैने अपने केस के बाबत अपने पुराने मित्र और राज्य सभा सांसद सीएम रमेश से चर्चा की. बातचीत के दौरान उन्होंने आश्वासन दिया कि वह इस बाबत सीबीआई के संबंधित डायरेक्टर से बात करेंगे. इसके बाद हुई मुलाकात के दौरान सीएम रमेश ने उन्हें बताया कि उनके केस के बाबत वह व्यक्तिगत तौर पर सीबीआई के डायरेक्टर से मिले हैं. सीएम रमेश ने उन्हें आश्वासन दिया कि सीबीआई अब उन्हें उनके केस के बाबत फोन नहीं करेगी. जिसके बाद मुझे सीबीआई की तरफ से कोई कॉल नहीं आया. मैं इस भ्रम में था कि मेरे खिलाफ चल रही जांच अब पूरी हो चुकी है.”
उल्लेखनीय है कि इस मामले में सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर भी आरोपी हैं. इस मामले में सीबीआई ने अपने ही विभाग के स्पेशल डायरेक्टर के खिलाफ 15 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की थी. स्पेशल डायरेक्टर पर मुइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में रिश्वत लेने का आरोप है. सीबीआई ने मामले के अन्य आरोपी के बयान के आधार पर दर्ज किए गए मामले में दावा किया गया है कि मोइन पर चल रहे मामले को खत्म करने के लिए सतीश शना रुपयों का इंतजाम कर रहा था. रिश्वत की यह रकम मनोज के जरिए पहुंचाई जानी थी. इस मामले में सीबीआई पहले ही मनोज को गिरफ्तार कर चुकी है.