नई दिल्ली
बिहार में एनडीए के दलों के बीच सीटों के बंटवारे का फॉर्म्युला तय हो चुका है। बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर और एलजेपी 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने नीतीश कुमार और रामविलास पासवान की मौजूदगी में इसका ऐलान किया। माना जा रहा है कि इस बंटवारे में सबसे ज्यादा फायदे में जो पार्टी रही है, वह है एलजेपी और सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को होगा। जहां एलजेपी को 6 लोकसभा सीटों के साथ एक राज्यसभा सीट भी दी जाएगी, वहीं 2014 में 22 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी 17 सीट पर ही चुनाव लड़ेगी। ऐसे में सवाल उठाने लगा है कि क्या एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार की वजह से सहयोगी दलों की बार्गेनिंग पावर बढ़ गई है?
तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी के सहयोगी बार्गेनिंग खुद को ज्यादा अच्छी स्थिति में महसूस कर रहे हैं। इसका सीधा असर बिहार एनडीए में सीटों के बंटवारे में देखने को मिला। जहां बीजेपी 2014 में 22 सीटों पर जीती थीं, वहां अब उसे अपनी जीती हुई 5 सीटों से हाथ धोना पड़ेगा। बीजेपी और जेडीयू के बीच आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान पहले ही किया जा चुका है, लेकिन अन्य सहयोगियों को लेकर कुछ भी तय नहीं हुआ था। इसके बाद रविवार को हुए ऐलान में पासवान सबसे ज्यादा फायदे में नजर आ रहे हैं।
पढ़ें: NDA: सीटों के समीकरण बैठे, अब असली खेल
दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी को खो चुकी बीजेपी बिहार में रामिवलास और नीतीश में से किसी का साथ छूटने का जोखिम नहीं ले सकती थी। ऐसे में 2019 में केंद्र में दोबारा सत्ता पाने के लिए पार्टी ने यह त्याग किया। बीजेपी बिहार में अपने दम पर लगभग 25 फीसदी वोट ले पाने में सफल रही थी। मोदी लहर में भी उसे 30 फीसदी से कम ही वोट मिले थे। पार्टी को पता है कि उसे सहयोगी की जरूरत है। बीजेपी को लगता है कि नीतीश कुमार और रामविलास पासवान के रहने से यह गठजोड़ मजबूत है। अगले साल राज्य में उसे इसका फायदा मिलेगा। 2009 में भी जब पूरे देश में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था, बिहार में नीतीश और बीजेपी की जोड़ी 32 सीटें लाने में कामयाब रही थी।
एनडीए में टिकट बंटवारे को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने तंज कसा है। बीजेपी और जेडीयू के बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर कुशवाहा ने कहा कि 56 इंच के सीने वाले नीतीश के सामने नतमस्तक हो गए। आधा-आधा बंटवारा कर दिया। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी बीजेपी को घेरा है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘एलजेपी और जेडीयू को 2 साल बाद पीएम नरेंद्र मोदी से नोटबंदी पर सवाल पूछने का फायदा मिला। जनादेश चोरी के बाद भी बीजेपी बिहार में इतनी मजबूत हुई कि 22 वर्तमान सांसद होने के बावजूद 17 सीट पर चुनाव लड़ेगी। दो एमपी वाले नीतीश भी 17 सीट पर लड़ेंगे। समझ जाइए कि एनडीए के हालात कितने पतले हैं।’