प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गया एयरपोर्ट पर बिहार के भाजपा नेताओं ने गर्मजोशी से स्वागत ही नहीं किया, बल्कि विदाई भी जोरदार ढंग से दी। दिल्ली से पलामू जाने के क्रम में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी व बिहार भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय ने अगुवानी की। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने प्रधानमंत्री मोदी को गुलाब का फूल भेंट की तथा मिथिला पेंटिंग की कढ़ाई वाली शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। वहीं लौटने के दौरान भी प्रधानमंत्री गया एयरपोर्ट पर उतरे। विदाई के समय सुशील मोदी व नित्यानंद राय के अलावा मंत्री नंदकिशोर यादव, मंत्री प्रेम कुमार समेत भाजपा के कई वरीय नेता शामिल रहे।
मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मुलाकातियों को अपने-अपने काम को बेहतर तरीके से करने की हिदायत दी। बाद में प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने पलामू में मंडल डैम का शिलान्यास करने के लिए उन्हें बिहार की समस्त जनता की ओर से बधाई दी।उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि 47 वर्षों तक यह परियोजना लंबित रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद दशकों से लंबित परियोजनाओं को पूरा करने का फैसला किया. इसके तहत मंडल डैम के अधूरे कार्यों को भी पूरा करने का निर्णय हुआ. 70 के दशक में किसानों की समृद्धि के लिए शुरू की गयी इस परियोजना का काम पूर्ववर्ती सरकारों की अक्षमता से रुका पड़ा था, अब पूरा होने जा रहा है.
नित्यानंद राय ने कहा कि 48 वर्ष पूर्व जब उत्तर कोयल जल विद्युत परियोजना (मंडल डैम) की बुनियाद रखी गयी थी, तब यह किसी को अहसास तक नहीं था कि इसके जीर्णोद्धार के लिए पुन: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिलान्यास करना पड़ेगा. डैम निर्माण में आज की तारीख में 1622 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वर्ष 1970 में इस परियोजना की अनुमानित राशि 30 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 44000 एकड़ कमान क्षेत्र में सिंचाई, पेयजल, औद्योगिक संस्थानों के लिए जल आपूर्ति एवं 24 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन करने की योजना थी. योजना आयोग द्वारा योजना की स्वीकृति सन 1989 के सितंबर में मिली थी। लेकिन, निर्माण कार्य 1972-73 में शुरू किया गया था। वर्ष 1985 में पुनरीक्षित कर प्राक्कलित राशि को 439 करोड़ रुपये कर दिया गया था, जो बाद में बढकर 581 करोड़ रुपये हो गया था. इसके साथ ही वे 1,138 करोड़ की लागत वाली कनहर-सोन पाइपलाइन परियोजना और नहरों की लाइनिंग का भी शिलान्यास किया। इससे केवल झारखंड ही नहीं, बिहार के किसानों को भी लाभ मिलेगा। इसके बन जाने से 1 लाख 11 हजार 800 हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी जिसमें बिहार की 91,917 हेक्टेयर और झारखंड की 19,917 हेक्टेयर जमीन शामिल है।