लोकसभा चुनाव में छठे चरण की वोटिंग के बाद उत्तर प्रदेश में अब सियासी रणभूमि का मैदान पूर्वांचल बन गया है. एक ओर जहां लोगों की निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी सीट पर है और दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अपनी परंपरागत गोरखपुर सीट पर कमल खिलवाने की चुनौती है. यह सीट बीजेपी का मजबूत दुर्ग माना जाता था, लेकिन उपचुनाव में सपा बसपा के समर्थन से इसे भेदने में सफल रही थी.
बीजेपी ने इस बार के चुनाव में भी ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए भोजपुरी फिल्मों के स्टार रवि किशन को उतारा तो महागठबंधन की ओर से सपा ने भी अपने पुराने समीकरण को साधने के लिए निषाद समुदाय से रामभुआल निषाद को प्रत्याशी बनाया है. पिछले साल गोरखपुर सीट पर हुए उपचुनाव में भी ऐसे ही ब्राह्मण बनाम निषाद के बीच सियासी जंग हुई थी, जिसमें बाजी सपा के हाथ लगी थी. एक बार फिर उपचुनाव जैसे राजनीतिक समीकरण बने हुए हैं, ऐसे में देखना होगा कि इस बार सियासी जंग कौन फतह करता है.
दरअसल गोरखपुर की सीट योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी जहां पिछले साल हुए उपचुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई. यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ के लिए भी गोरखपुर में बीजेपी को जिताना साख की बात है, क्योंकि यह सीट लगातार गोरखनाथ मठ के महंत के पास रही है. योगी आदित्यनाथ ने इस सीट पर लगातार पांच बार जीत दर्ज की थी. अब सूबे के मुख्यमंत्री हैं तो ऐसे में उनकी यह सीट जिताने की उनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है.
बीजेपी प्रत्याशी रवि किशन गोरखपुर में भगवा कुर्ता पहने हुए चुनावी प्रचार में जुटे हुए हैं. वह सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर लोगों से जिताने की अपील कर रहे हैं. रवि किशन बाहरी के ठप्पे से बचने के लिए गोरखपुर के मोहद्दीपुर में फ्लैट खरीदकर रह रहे हैं. रवि किशन मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं और फिलहाल मुंबई में रहते हैं. उनकी पत्नी प्रीति भी मुंबई की घर गृहस्थी छोड़कर गोरखपुर में पति को जिताने के लिए गली-गली घूम रही हैं. लेकिन यहां जीत का सारा दारोमदार योगी आदित्यनाथ पर टिका हुआ है.
रवि किशन अपने भाषणों में प्रधानमंत्री मोदी से नाम पर वोट मांगते हैं और वो यहां तक कहते हुए नज़र आते हैं कि अगर वे जीते तो योगी आदित्यनाथ की खड़ाऊं रखकर गोरखपुर में काम करेंगे. कांग्रेस ने गोरखपुर सीट पर मधूसूदन तिवारी को मैदान में उतारा है. ऐसे में कांग्रेस के ब्राह्मण कार्ड चलने से वोट के बंटवारे का खतरा बीजेपी प्रत्याशी रवि किशन के लिए मुसीबत बन सकता है.
गोरखपुर में सबसे ज्यादा निषाद समुदाय के 3.50 लाख वोटर हैं, फिर करीब डेढ़ लाख मुसलमान, 2 लाख यादव, 2 लाख दलित, करीब तीन लाख ब्राहम्ण, 80 हजार राजपूत और छोटी बड़ी कई जातियां हैं. लोकसभा उपचुनाव में यहां से बीजेपी के उपेंद्र शुक्ला करीब 20,000 वोटों से सपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद से हार गए थे. इसी फॉर्मूले पर चलते हुए सपा ने निषाद समुदाय के उम्मीदवार पर फिर दांव खेला है. इस बार सपा ने प्रवीण निषाद की जगह रामभुआल निषाद को प्रत्याशी बनाया है. जबकि प्रवीण निषाद लोकसभा चुनाव से पहले सपा का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामकर संतकबीर नगर सीट से चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं.
प्रवीण निषाद और उनके पिता संजय निषाद दोनों संतकबीर नगर में अपनी जीत की इबारत लिखने में जुटे हैं. प्रवीण निषाद के गोरखपुर में चुनावी मैदान में न होने से निषाद समुदाय के मतदाताओं को सपा प्रत्याशी राम भुआल निषाद साधने में जुटे हैं. रामभुआल निषाद को गोरखपुर के ही होने का सियासी फायदा मिल सकता है. इसके अलावा निषाद समुदाय को वह सपा के पक्ष में एकजुट करने में सफल रहते हैं तो उपचुनाव की तरह मुकाबला देखने को मिल सकता है.
उपचुनाव में जीती गोरखपुर सीट को बचाने के लिए मायावती के साथ अखिलेश यादव ने आज संयुक्त रैली की. इस दौरान मायावती और अखिलेश यादव ने जमकर योगी और मोदी पर हमला किया. अखिलेश ने कहा कि उपचुनाव में बसपा प्रमुख ने सिर्फ समर्थन दिया था तो इतनी बड़ी जीत मिली थी, इस बार तो गठबंधन हो गया है. इसके संदेश मठ तक पहुंच गया है. सपा प्रमुख ने इशारों-इशारों में कहा कि प्रवीण निषाद को बीजेपी ने अपने खेमे में लाने के लिए मोटा प्रसाद दिया था. जबकि उन्हें हम लोगों ने मेहनत करके जिताया था.