बेंगलुरु
आरएसएस के निष्ठावान विचारक, संगठन के सख्त नेता, बेंगलुरु के ‘सर्वाधिक प्रिय’ सांसद और यूएन में कन्नड़ बोलने वाले पहले व्यक्ति, ये वे उपाधियां हैं जो केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार के साथ जुड़ी हैं। सोमवार तड़के बेंगलुरु में उनका निधन हो गया। चुनावी राजनीति में हमेशा अजेय रहे अनंत कुमार दक्षिणी बेंगलुरु लोकसभा सीट से लगातार 6 बार सांसद रहे। वह बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के हमेशा करीब रहे- चाहे वह अटल बिहारी वाजपेयी या लालकृष्ण आडवाणी का दौर रहा हो या फिर अभी नरेंद्र मोदी का दौर। उनके निधन पर बीजेपी के साथ-साथ विपक्ष दलों ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है और इसे देश की राजनीति के लिए बड़ी क्षति बताया।
22 जुलाई 1959 को एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्मे अनंत कुमार के पिता नारायण शास्त्री एक रेलवे कर्मचारी थे जबकि मां गिरिजा एन शास्त्री ग्रैजुएट महिला थीं। उन्होंने कर्नाटक यूनिवर्सिटी के केएस आर्ट्स कॉलेज से बीए किया था। इसके बाद उन्होंने जेएसएस लॉ कॉलेज से एलएलबी में दोबारा ग्रैजुएशन किया। राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने संघ की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से की। कर्नाटक में एबीवीपी के सदस्य रहते हुए वह 1985 में राष्ट्रीय सचिव भी बने। धीरे-धीरे वह राज्य के प्रभावी नेताओं में शुमार हो गए।
इमर्जेंसी के दौरान जेल भी गए
इमर्जेंसी के दौरान इंदिरा गांधी सरकार का उन्होंने विरोध किया था जिस पर उन्हें जेल भी हुई थी और वह 30 दिन बाद रिहा हुए थे। संघ से जुड़े होने के कारण राजनीति में उनका तेजी से उत्थान हुआ। अनंत कुमार 1987 में बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें प्रदेश सचिव बनाया गया। वह युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे। 1995 में पार्टी के राष्ट्रीय सचिव बने।
6 बार लगातार लोकसभा सांसद
इसी साल उन्हें दक्षिणी बेंगलुरु की सीट से लोकसभा टिकट मिला और वह लगातार 6 बार इसी सीट से सांसद चुने गए। उन्होंने इस सीट से 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में जीत हासिल की।
सबसे युवा मंत्री का होने का गौरव मिला था
कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा के साथ उन्हें राज्य में बीजेपी के विकास के लिए उनकी प्रमुख भूमिका मानी जाती है। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में उन्होंने सबसे युवा मंत्री होने का कीर्तिमान बनाया था। अनंत कुमार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री भी रहे। बाद में वह टूरिजम, स्पोर्ट्स, कल्चर, शहरी विकास मंत्री भी बने। साल 2014 में उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार नंदन निलेकणी से कड़ी चुनौती मिली थी लेकिन अनंत कुमार अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे और 2 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
येदियुरप्पा के साथ थे कड़वे संबंध
वर्तमान में वह रसायन और उर्वरक मंत्रालय और संसदीय मामलों के मंत्री पद का कामकाज संभाल रहे थे। उन्हें नीम कोटेड यूरिया और जन औषधि केंद्र की सुविधा लागू कराने का श्रेय दिया जाता है। बीजेपी के संसदीय बोर्ड का महत्वपूर्ण सदस्य होने के नाते उन्हें कर्नाटक बीजेपी का दिल्ली चेहरा करार दिया जाता था। येदियुरप्पा के साथ उनके राजनीतिक संबंध मधुर नहीं थे। कई मौकों पर दोनों के बीच की खटास सामने आ चुकी थी। उन पर कर्नाटक के मामलों में बहुत अधिक हस्तक्षेप का आरोप भी लगाया गया था। अनंत कुमार के परिवार में उनकी पत्नी डॉ. तेजस्विनी और उनकी दो बेटियां ऐश्वर्या और विजेता हैं।