प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे अजीत डोभाल को लेकर बड़ी खबर आ रही है. अजीत डोभाल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने रहेंगे. इसके साथ ही उन्हें मोदी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा मिलेगा. अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा क्षेत्र में उनके अच्छे काम के लिए मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है. उनकी नियुक्ति पांच साल के लिए हुई है.
बता दें कि पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक अजीत डोभाल की निगरानी में ही हुई थी. उन्होंने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसकी जानकारी दी थी. वह पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भी सबसे ज्यादा चर्चा में आए थे.
सितंबर 2016 में पीओके में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक में भी अजीत डोभाल की बड़ी भूमिका रही थी. उन्होंने इस मिशन से पहले सेना के तीनों चीफ और खुफिया एजेंसियों के हेड के साथ आखिरी मीटिंग ली थी. मीटिंग में तय हुआ था कि मिशन के तहत एलओसी के उस पार आठ आतंकी कैंपों पर हमला किया जाएगा.
अजीत डोभाल की गिनती देश के सबसे ताकतवार नौकरशाहों में होती है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें NSA के अलावा रणनीतिक नीति समूह (स्ट्रैटिजिक पॉलिसी ग्रुप, SPG) का सचिव भी बना दिया गया था.
डोभाल पाकिस्तान के लाहौर में अपने देश की रक्षा के लिए 7 साल तक मुसलमान बनकर रहे थे. उन्हें भारत के सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. यह सम्मान पाने वाले वह पहले अफसर थे.
1968 केरल बैच के IPS अफसर अजीत डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद साल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए थे. अजीत डोभाल ने करियर में ज्यादातर समय खुफिया विभाग में ही काम किया है. कहा जाता है कि वह सात साल तक पाकिस्तान में खुफिया जासूस रहे.
साल 1989 में अजीत डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर’ का नेतृत्व किया था. 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया.