Saturday , July 27 2024
ताज़ा खबर
होम / देश / 1984 सिख दंगा केस : उम्रकैद की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सज्‍जन कुमार

1984 सिख दंगा केस : उम्रकैद की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सज्‍जन कुमार

नई दिल्‍ली :

1984 सिख दंगा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से उम्रकैद की सजा पाए सज्जन कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सजन कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को दिल्ली कैंट इलाके में सिखों के कत्लेआम मामले में दोषी ठहराते हुए उन्‍हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. माना जा रहा है कि सजन कुमार की अपील पर जनवरी माह में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है.

दरअसल, दिल्‍ली हाईकोर्ट ने दिल्ली कैंट इलाके में सिखों के कत्लेआम मामले में सज्जन कुमार को उम्र कैद की सजा सुनाई थी और 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. इसके अलावा कोर्ट ने सज्जन कुमार पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

हाईकोर्ट ने अन्‍य 5 दोषियों पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया था, जिनमें बलवान खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल को उम्रकैद जबकि महेंद्र यादव और किशन खोखर की सजा 3 से 10 साल बढ़ा दी थी. जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा था कि 1947 में विभाजन के समय हुए नरसंहार के 37 साल बाद फिर हजारों लोगों की हत्या हुई.

बता दें कि दिल्‍ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सज्‍जन कुमार की ओर से की गई सरेंडर की मियाद (समयसीमा) बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया था. दिल्‍ली हाईकोर्ट ने सरेंडर की मियाद बढ़ाने से इनकार कर दिया था. अब सज्‍जन कुमार को 31 दिसंबर को ही सरेंडर करना होगा. सज्जन कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर सरेंडर की मियाद 30 दिनों की बढ़ाने की मांग की थी. पीएम की हत्या के बाद एक समुदाय को निशाना बनाया गया. हत्यारों को राजनीतिक संरक्षण था. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली कैंट के राज नगर में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या की गई थी.

निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था. वहीं कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, रिटायर्ड नेवी अफसर कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल को उम्रकैद की सजा और बाकी दो दोषियों पूर्व MLA महेंद्र यादव, किशन खोखर को 3 साल की सजा सुनाई थी. जबकि कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया गया था. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दोषियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी. वहीं सीबीआई ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी करने के खिलाफ अपील की थी. इससे पहले सीबीआई ने आरोप लगाया था कि सज्जन कुमार सांप्रदायिक दंगा फैलाने में शामिल थे.

पीड़ित परिवारों ने भी सज्जन कुमार को बरी करने के खिलाफ अपील याचिका दायर की थी. याचिका पर हाईकोर्ट ने 29 मार्च, 2017 को 11 आरोपितों को नोटिस जारी किया था. इसके बाद से मामले में दो सदस्यीय पीठ के समक्ष सुनवाई चल रही थी. पीठ ने मामले में बरी आरोपी से पूछा था कि क्यों न मामले में दोबारा जांच शुरू की जाए. हाई कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद 29 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)