आम सभा, आयुष कुमार अग्रवाल : गढ़वाल लोकसभा हमेशा से चर्चा में रही है। इसका नेतृत्व 3 पूर्व मुख्यमंत्री कर चुके है। जिसमें हिमालय पुत्र कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा का नाम भी शामिल है। बहुगुणा 80 के दशक की शुरूआत में गढ़वाल से सांसद बने और तभी गढ़वाल लोकसभा पूरे देश की नजर में आया। इसके पीछे का कारण उनकी व तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच हुई अदावत रही। अदावत ऐसी कि एक लोकसभा उपचुनाव को जीतने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा क्षेत्र में 34 जनसभाएं की। वहीं, गढ़वाल लोकसभा में नो राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ही 62 मंत्रियों ने हेमवती को हराने के लिए डेरा डाला और यह लोकसभा चुनाव इंदिरा की नाक का सवाल बन गया।
1980 के चुनावों से पहले इंदिरा गांधी की पहल पर कांग्रेस के साथ आने वाले बहुगुणा को इंदिरा सरकार के आने के कुछ ही समय बाद हाशिए पर डाल दिया गया था। इसके बाद भी उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा को कई पत्र लिखे और जनता के मुद्दों को उनके समक्ष रखा।
इसी क्रम में उन्होंने अपना आखिरी पत्र 10 मई 1980 को लिखा। इस पत्र का प्रधानमंत्री ने 19 मई को 6 पन्नों का जवाब दिया और बहुगुणा ने तत्काल ही कांग्रेस और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इंदिरा गांधी से सीधी अदावत कर बहुगुणा ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया।
इसी लोकप्रियता के शिखर पर उन्होंने गढ़वाल लोकसभा से उपचुनाव लड़ने का फैसला किया और 26 जून 1981 को गढ़वाल लोकसभा की अधिसूचना जारी होने के बाद जनता पार्टी (एस) से पर्चा भर दिया, लेकिन इस चुनाव में इतनी धांधली हुई कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार मतगणना के एक दिन पहले ही उच्च स्तरीय जांच से प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर चुनाव को रद्द कर दिया गया। इसके बाद एक बार फिर चुनाव आयोग ने उपचुनाव का कार्यक्रम तय किया, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी के प्रतिवेदन पर आयोग ने मतदान की तिथि आगे बढ़ा दी।
इसके बाद भी एक बार पुन: आयोग को चुनाव आगे बढ़ाना पड़ा और अंत में मतदान के लिए 19 मई व मतगणना के लिए 22 मई का दिन तय हुआ। उपचुनाव में कांग्रेस का टिकट चंद्रमोहन सिंह नेगी को दिया गया। इस चुनाव में प्रधानमंत्री इंदिरा के दखल को इस तरह से समझा जा सकता है कि उन्होंने एक लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव के लिए 34 जनसभाएं की। वहीं, गढ़वाल लोकसभा में नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ही 62 मंत्रियों ने हेमवती को हराने के लिए डेरा डाला।
गढ़वाल लोकसभा में बाहर से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं के वाहनों की गिनती भी नामुमकिन हो गई और कांग्रेस नेताओं को प्रचार के लिए 11 हेलीकाप्टर दिए गए। साथ ही बहुगुणा को हराने के लिए सरकारी तंत्रों का हर प्रकार से दुरुपयोग किया गया। मतगणना के एक दिन पहले ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव डेरा डाल दिया और मतगणना के दिन तक लोकसभा क्षेत्र में देखभाल के लिए 43 मंत्री तैनात रहे। वहीं, सरकारी रिकार्ड के अनुसार 15,675 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।
इसमें मुख्य रूप से हरियाणा के पुलिस कर्मियों को शामिल किया गया। जिनके ऊपर कांग्रेस के प्रत्याशी के पक्ष में कार्य करने के आरोप भी लगे और इन्ही सब के बीच चुनाव संपन्न हुआ। जब इसका परिणाम आया तो सत्ता के दुरुपयोग और इतने प्रचार के बाद भी कांग्रेस प्रत्याशी जनता पार्टी (एस) के प्रत्याशी बहुगुणा से 29,024 मत से हार गए। देश की सबसे ताकतवर व्यक्तित्व भी गढ़वाल के पहाड़ की मजबूती के सामने नहीं टिक पाई और सत्ता के अभिमान को पहाड़ी स्वाभिमान ने घुटनों पर ला दिया।