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भोपाल / विलुप्त होती काव्य विधा ‘मुकरी’ ,’कह मुकरी’ की दो दिवसीय कार्यशाला का महिला काव्य मंच भोपाल इकाई द्वारा ऑनलाइन आयोजन हुआ

आम सभा, भोपाल। ऑनलाइन कार्यशालाओं का इस समय दौर चल रहा है। इसी दौर में महिला काव्य मंच मध्यप्रदेश की उपाध्यक्ष डॉ. प्रीति प्रवीण खरे ने बीड़ा उठाया है विलुप्त होती साहित्यिक विधाओं की कार्यशाला आयोजित करने का।इसी उद्देश्य से मध्यप्रदेश महिला काव्य मंच, भोपाल इकाई द्वारा विलुप्त हो रही विधा ‘मुकरी’ के प्रशिक्षण के लिए दो दिवसीय ‘मुकरी कार्यशाला’ का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में प्रतिबद्ध कलमकार, अनुभवी शिक्षिका एवं छंदविधान में सिद्धहस्त वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती सुनीता यादव द्वारा मुकरी लेखन हेतु 20 महिला साहित्यकारों को प्रशिक्षण दिया गया। श्रीमती सुनीता यादव ने बताया कि साहित्य की अन्य विधाओं के सामान ही मुकरी लिखने की विधा भी प्राचीन है।’कह मुकरी’ से तात्पर्य कह कर मुकर जाना होता है। अमीर खुसरों की मुकरियाँ बहुत प्रचलित हैं।

मुकरी में दो सखियों के वार्तालाप को रोचक ढंग से ससपेंस के साथ कहा जाता है, और इसमें हास विनोद भी होता है। यह 16-16 मात्राओं की चार पंक्तियों वाली रचना होती हीे। जिसमें पहली व दूसरी पंक्ति तुकांत होते हुये एक संज्ञा के गुणों का वर्णन करती है, तीसरी पंक्ति में सखि उस वस्तु की तरफ इंगित करती है। इस तरह मुकरी का परिचय देते हुए सुनीता यादव ने सभी को मात्रा गिनना और कह मुकरी लिखना सिखाया।

उदाहरण स्वरूप सुनीता यादव ने अपनी मुकरी प्रस्तुत की, जो इस प्रकार है-

करता है मुझको आलिंगन
घबरा जाता है मेरा मन
याद करूँ तो आये रोना
ऐ सखि साजन! न कोरोना!

डॉ. प्रीति प्रवीण खरे ने जानकारी देते हुए बताया कि लॉकडाउन में सकारात्मकता के साथ-साथ रचनात्मकता को बढ़ावा देने लिए इस तरह की कार्यशालाओं के आयोजन के पश्चात तीन श्रेष्ठ मुकरियों को सुनीता जी द्वारा चुना गया। इसमें नीति श्रीवास्तव प्रथम, नविता जौहरी द्वितीय एवं साधना श्रीवास्तव तृतीय रहीं। डॉ. प्रीति प्रवीण खरे ने कहा कि अभी सहभागियों को डिजीटल सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा और लॉकडाउन खुलने के बाद विजेताओं को पुरस्कृत भी किया जायेगा।

भोपाल इकाई की अध्यक्ष श्रीमती शशि बंसल ने सभी विजेताओं का बधाई देते हुए प्रशिक्षक सहित सभी महिला साहित्यकारों के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यशाला में सुधा दुबे, मधूलिका सक्सेना, शेफालिका श्रीवास्तव, नविता जौहरी, दुर्गा रानी श्रीवास्तव, डा.वर्षाचौबे,कीर्ति ”विद्या”सिन्हा, मीना गोन्डे, नीति श्रीवास्तव, डॉ. अर्चना निगम, नमिता सेनगुप्ता, नम्रता सरन ‘सोना’, कीर्ति श्रीवास्तव, जया तागड़े,साधना श्रीवास्तव, रूपाली सक्सेना, विद्या श्रीवास्तव ने भाग लिया।

मुकरी कार्यशाला में स्थान पाने वाली तीन मुकरियाँ इस प्रकार रहीं –

प्रथम स्थान –

दूर दूर से जोड़े सबको
रहे भेद ना कोई इसको
तोड़ के रख दे सबका मौन
हे सखि साजन! न सखि फोन। – नीति श्रीवास्तव

दूसरा स्थान –

साँसों पर पहरा बैठावे।
पीछे पड़कर बहुत सतावे
धड़के दिल का कोना कोना।
ऐ सखि साजन! न सखि कोरोना। – नविता जौहरी

तीसरा स्थान –

संग बिना चलना है दूभर
मुझको रस्ता जाता अखर
बिना इसके न हम पाएँ चल
ऐ सखि साजन! न सखि चप्पल। – साधना श्रीवास्तव

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