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समाज में वर्चस्व बढ़ाती परिचय सम्मेलन की परंपरा : विपिन कोरी

वर्तमान सामाजिक परिवेश समाज में अपनी एक स्वच्छ भूमिका निभाने के लिए तरह-तरह के प्रयोग–अनुप्रयोग कर समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के भरसक प्रयास कर रही है और इसी कड़ी में सामाजिक सम्मेलनों, परिचर्चा, परिचय सम्मेलनों को समाज के ठेकेदारों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। जहां एक और एक समाज विशेष में विभिन्न प्रकार की जातियां समाहित होती हैं वही समाज के लोगों के बीच सामंजस्य बिठाने और समाज का वर्चस्व बनाने के लिए हर समाज के लोगों द्वारा परिचय सम्मेलनों का परिचलन शुरू हो गया है, जिसमें समाज के प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा कई तरह के आयोजन करके समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाने का और इस माध्यम से राजनीति में भी अपनी छवि बनाने की अपेक्षाओं, आकांक्षाओं का समावेश किया जा रहा है। हर समाज में किसी न किसी बहाने साल में एक दो बार परिचय सम्मेलन तो हो ही जाते हैं। अग्रवाल समाज परिचय सम्मेलन, प्रजापति समाज परिचय सम्मेलन, लोधी परिचय समाज परिचय सम्मेलन, बसोर–वंशकार समाज परिचय, कोरी कोली समाज युवक युवती परिचय सम्मेलन जैसे विभिन्न समाजों के परिचय सम्मेलनों का आयोजन किया जाने लगा है। हर समाज के लिए यह बहुत अच्छी परंपरा है। इस तरह के आयोजनों से समाज के लोगों में एक–दूसरे की जातियों की भावनाओं को समझने का भी एक अच्छा अवसर मिलता है। आज समाज को ऐसे सम्मेलनों की बहुत आवश्यकता है। इन सम्मेलनों से युवक युवतियों में जागरूकता, साहस, सौम्यता, सभ्यता, संघर्ष, संकल्प, इच्छा शक्ति की भावना पैदा होती है जिससे वे समाज में आगे आकर अपने सामाजिक मूल्यों का निष्ठा के साथ निर्वहन करते हैं और समाज में व्याप्त कुरीतियों को कुछ हद तक दूर करने का भी प्रयास करते हैं और समाज को एक उच्च स्थान दिलाने में उनकी अहम भूमिका होती है। सामाजिक ताना-बाना समझने की भी एक क्षमता प्रबल होती है। इसलिए समाज में परिचय सम्मेलनों की बहुत आवश्यकता है।