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संस्कृत शिक्षा में संरचनात्मक आकलन

आम सभा, भोपाल : मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित मानित विश्वविद्यालय राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान के भोपाल परिसर के शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित द्वि दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज शुभारंभ हुआ। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में डॉ. धीरेन्द्र चतुर्वेदी संयुक्त निदेशक, लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल मुख्य अतिथि तथा राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान के भोपाल परिसर के प्राचार्य आचार्य प्रकाश पाण्डेय अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे। संगोष्ठी संयोजक शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. जे. भानुमूर्ति समागत अतिथियों का वाचिक स्वागत किया।

प्रो. नीलाभ तिवारी ने संगोष्ठी के विषय को प्रस्तावित किया। उन्होंने शैक्षिक प्रक्रिया में रचनावाद’ से होने वाले लाभों पर प्रकाश डाला। डॉ. धीरेनद्र चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में शिक्षा की गुणवत्ता संवर्धन विषय पर बात की। उनका कहना था कि शिक्षा की उच्चकोटि की गुणवत्ता राष्ट्र के भविष्य हेतु अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। सभाध्यक्ष आचार्य प्रकाश पाण्डेय ने ‘संरचनात्मक शिक्षा व आकलन प्रक्रिया’ पर बोलते हुए स्पष्ट किया कि ‘रचनावाद’ व्यावहारिक जीवन में शिक्षा के क्रियान्वयन को दिशा देने वाला नवाचार है।

यद्यपि इसे नवाचार कहा जाता है परन्तु यदि प्राचीन भारतीय शिक्षा व्यवस्था को देखा जाय तो भारतीय शिक्षा सदैव ही ऐसे रचनात्मक सिद्धान्तों पर आधारित रही है। उन्होंने संस्कृत शिक्षा को सम-सामयिक बनाने पर बल दिया। उनका कहना था कि प्राचीन शास्त्री ज्ञान सदैव प्रासरिक हैं एवं इसकी शिक्षा से छात्रों का चरित्र निर्माण होता है। उच्च चरित्र के नागरिकों द्वारा ही राष्ट्र की एकता, अखण्डता स्थापित कर प्रगति को तीव्र गति दी जा सकती है। कार्यक्रम के अन्त में डॉ. नगेन्द्रनाथझा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

इस सत्र का संचालन डॉ. वेंकट रमण भट्ट ने किया। संगोष्ठी के समन्वयक संयोजक प्रो. जे. भानुमूर्ति तथा डा. नगेन्द्रनाथ झा तथा सचिव डॉ. डम्बरुधर पति तथा डॉ आर. एल. नारयण सिंह हैं। प्रथम दिवस 2 शोधपत्र वाचन सत्र हुए जिनमें 29 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। आज के विशिष्ट संसाधन के रूप में प्रो. अतुल मिश्रा, एन.आई.टी.टी. आर. श्यामला हिल्स, उपस्थित रहे।

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