नई दिल्ली। पोत परिहवन मंत्री नितिन गडकरी ने समुद्री अर्थव्यवस्था को भारतीय आर्थिक विकास कार्यक्रमों का महत्वपूर्ण अंग करार देते हुए कहा है कि उनकी सरकार ‘सागरमाला’ परियोजना के तहत समुद्र आधारित आर्थिक क्षमता को बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठा रही है।
गडकरी ने केन्या के नैरोबी में समुद्री अर्थव्यवस्था पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के आर्थिक विकास कार्यक्रमों को समुद्री अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है। भारत का 95 प्रतिशत से अधिक कारोबार समुद्र के जरिये होता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत हिंद महासागर तटीय सहयोग संघ (आईओआरए) की रूपरेखा के जरिये समुद्रीय अर्थव्यवस्था को वहनीय, समावेशी और जन-आधारित तरीके से प्रोत्साहित करने के पक्ष में है। आईओआरए एक ऐसा संगठन है, जो क्षेत्रीय सहयोग और अंतर्महाद्वीपीय व्यापार में तेजी लाने के उद्देश्य से हिंद महासागर से जुड़े एशिया, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया महाद्वीपों को एक मंच पर लाने में अहम भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा कि समुद्री संसाधनों के विकास पर उनकी सरकार विशेष ध्यान दे रही है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में बना हुआ नीला चक्र भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था की क्षमता को दर्शाता है और उनका मंत्रालय इस क्षमता का भरपूर उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।
गडकरी ने कहा कि समुद्री अर्थव्यस्था को मजबूत बनाने के लिए उनकी सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘सागरमाला’ योजना शुरू की है और इसके तहत 600 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनमें 2020 तक लगभग आठ लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाना है।